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राज्यसभा में धनखड़ के इन शब्दों ने मणिपुर पर तनाव को खत्म कर दिया
नई दिल्ली। मणिपुर में हिंसा (Violence in Manipur) को लेकर संसद के दोनों सदनों में लगातार शोर-शराबे के बीच गुरुवार को अचानक हंसी के फव्वारे छूट पड़े। यह वाकया राज्यसभा (Rajyasabha) का है, जहां सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdip Dhankar) और कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) के बीच हंसी-मजाक के कुछ क्षणों ने सदस्यों को खूब गुदगुदाया।
सुबह सदन की कार्रवाई शुरू होने के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष में मणिपुर के मुद्दे पर कुछ बात बनती दिखी। सुबह 11.30 बजे के करीब सभापति जगदीप धनखड़ सदस्यों को समझा रहे थे तभी मल्लिकार्जुन खरगे खड़े हो गए। धनखड़ बोले कि आप अनुभवी हैं, हम आपका गाइडेंस चाहते हैं। मुस्कुराते हुए सभापति ने कहा कि सर, मैं आपकी तरफ देखता रहता हूं। खरगे ने अपने अंदाज में जवाब दिया कि जब भी आप मुझे उठाते हैं तो 2 सेकेंड में फिर बिठा देते हैं। विपक्ष के सदस्य हंसने लगे। खरगे ने कहा कि बार-बार ऐसा क्यों हो रहा है, मुझे मालूम नहीं। मणिपुर पर सभी ने मिलकर रास्ता निकालने के लिए कहा है। यह कहते-कहते खरगे ने कहा, ‘हमारे इंडिया पार्टी के जितने भी…।’ यह सुनते ही सत्ता पक्ष के सदस्य शोर करने लगे।
‘इंडिया पार्टी’ शब्द पर सत्तापक्ष का हंगामा
सत्तापक्ष के कई सदस्यों ने खड़े होकर I.N.D.I.A पार्टी कहने पर एतराज जताया। सभापति ने सत्ता पक्ष के सदस्यों को समझाया कि अभी दूसरी तरफ मत जाइए। नेता प्रतिपक्ष खरगे ने आगे कहा कि मेरा निवेदन है कि 176 का नोटिस भी उसी दिन दिया गया, 267 भी… 267 नोटिस में सभी बिजनेस को अलग रखकर प्रायोरिटी देना चाहिए। लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा कि ये प्रतिष्ठा का मसला क्यों बन गया। 267 में हमें कहने के लिए मौका मिलता है, आपने ये भी कहा कि उसे एडमिट करने के लिए कारण होना चाहिए।
आप जरा गुस्से में थे…
खरगे ने कहा कि मैंने कल ही विनती की लेकिन आप जरा गुस्से में थे…। इतना सुनते ही धनखड़ हंस पड़े। उन्होंने कहा, ‘सर मेरी शादी को 45 साल से ज्यादा हो चुके हैं। मैं कभी गुस्सा नहीं करता। और चिदंबरम सीनियर वकील हैं। वह जानते होंगे कि सीनियर एडवोकेट को अथॉरिटी के सामने गुस्सा नहीं करना चाहिए। आप अथॉरिटी हैं सर। इसे मॉडिफाई कर दो सर।’ इसके बाद खरगे ने हंसते हुए कहा कि नहीं, नहीं आप गुस्सा नहीं करते, दिखाते नहीं लेकिन बराबर अंदर से करते हो। यह सुनकर एक बार फिर सदन में हंसी का गुब्बारा फूट पड़ा।