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गृह प्रवेश से पहले क्यों जरूरी होता है वास्तु पूजन करना
किसी भी भूमि पर घर की चारदीवारी बनते ही वास्तु पुरुष उस घर में उपस्थित हो जाता है और गृह वास्तु के अनुसार उसके इक्यासी पदों (हिस्सों) में उसके शरीर के भिन्न-भिन्न हिस्से स्थापित हो जाते हैं और इन पर पैंतालीस देवता विद्यमान रहते हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से किसी भी मकान या जमीन में पैंतालीस विभिन्न ऊर्जा पाई जाती हैं और उन ऊर्जाओं का सही उपयोग ही वास्तुशास्त्र है। इस प्रकार वास्तुपुरुष के जिस पद में नियमों के विरुद्ध स्थापना या निर्माण किया जाता है उस पद का अधिकारी देवता अपनी प्रकृति के अनुरूप अशुभ फल देते हैं तथा जिस पद के स्वामी देवता के अनुकूल स्थापना या निर्माण किया जाए उस देवता की प्रकृति के अनुरूप सुफल की प्राप्ति होती है।
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गृह प्रवेश के पूर्व वास्तु शांति कराना शुभ होता है। इसके लिए शुभ नक्षत्र वार एवं तिथि इस प्रकार हैं
शुभ वार- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, व शुक्रवार
शुभ तिथि- शुक्लपक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी एवं त्रयोदशी
शुभ नक्षत्र- अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, उत्तरफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा भाद्रपद, रोहिणी, रेवती, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, स्वाति, अनुराधा एवं मघा
यदि गृहप्रवेश के पूर्व गृहशांति पूजन नहीं किया जाए तो दुस्वप्न आते हैं। अकाल मृत्यु, अमंगल संकट आदि का भय हमेशा रहता है।
गृह निर्माता को भयंकर ऋणग्रस्तता का सामना करना पड़ता है, एवं ऋण से छुटकारा भी जल्दी से नहीं मिलता, ऋण बढ़ता ही जाता है।
घर का वातावरण हमेशा कलह एवं अशांतिपूर्ण रहता है। घर में रहने वाले लोगों के बीच मनमुटाव बना रहता है। वैवाहिक जीवन भी सुखमय नहीं होता।
उस घर के लोग हमेशा किसी न किसी बीमारी से पीड़ित रहते हैं। गृह निर्माता को पुत्रों से वियोग आदि संकटों का सामना करना पड़ सकता है।
जिस गृह में वास्तु दोष आदि होते हैं, उस घर में बरकत नहीं रहती अर्थात धन टिकता नहीं है। आय से अधिक खर्च होने लगता है।