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मोदी सरकार ने किस डर से वापस लिया चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाला बिल?
नई दिल्ली। चुनाव आयुक्तों का दर्जा घटाने और उनकी नियुक्ति वाले पैनल से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को हटाने वाले बिल को सरकार ने सोमवार को संसद के विशेष सत्र (Special Session Of The Parliament ) के एजेंडे से हटा लिया। इससे पहले सरकार ने संसद के विशेष सत्र में जिन 8 बिलों के बारे में विपक्ष को जानकारी दी थी, उनमें चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में बदलाव करने वाला बिल शामिल नहीं है। अब सरकार का कहना है कि वह इस बिल में फिर कुछ बदलाव (Govt Wants To Amend The Bill ) करेगी और इसीलिए बिल को हटाया गया है।
नए सिरे से बदलाव किए जाने के बाद ही बिल को सदन में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। सरकार चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में बदलाव वाले बिल में चुनाव आयुक्तों को सुप्रीम कोर्ट के जज के दर्जे की बजाय कैबिनेट सचिव वाली हैसियत देने वाली थी। इसका तीखा विरोध हो रहा था। विपक्ष इसे चुनाव आयोग की स्वायत्ता (Autonomy Of Election Commission) से समझौता बता रहा था, तो वहीं 9 पूर्व चुनाव आयुक्तों ने पीएम मोदी को खत भी लिखा था। सरकारी सूत्रों का कहना है कि अब सरकार खुद अपने स्तर पर भी बदलाव की जरूरत महसूस कर रही है। इसीलिए बिल को कुछ वक्त के इंतजार और संशोधन के बाद ही पेश किया जाएगा।
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चीफ जस्टिस को हटाने पर बवाल
इस बिल को लेकर सबसे बड़ी आपत्ति यह भी है कि आखिर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से चीफ जस्टिस (Chief Justice Of India) को क्यों हटाया जा रहा है। मौजूदा नियमों के मुताबिक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले पैनल का चीफ जस्टिस भी हिस्सा होते हैं। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल मार्च में आदेश दिया था। बिल को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने वाला माना जा रहा है। अब नए बिल के अनुसार पैनल में पीएम, नेता विपक्ष और एक केंद्रीय मंत्री को ही रखने का प्रावधान होगा। इसी को लेकर खासतौर पर आपत्ति है और विपक्ष इसे चुनाव आयोग की स्वायत्तता से छेड़छाड़ करने वाला बिल बता रहा है।