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पौष माह में इस प्रकार करें सूर्यदेव को अर्घ्य, बढ़ जाएगा यश
पौष माह (Paush month) का विशेष महत्व होता है। यह माह सूर्यदेव और श्री हरि भगवान विष्णु (Suryadev and Shri Hari Lord Vishnu) को समर्पित है। पौष माह में चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है। इसलिए ही इस माह को पौष माह की संज्ञा दी गई है। पुराणों के अनुसार यह माह सूर्यदेव की उपासना के लिए बहुत बेहतर और श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस माह भगवान सूर्यदेव की उपासना करने से यश बढ़ता है और मनुष्य तेजस्वी हो जाता है। इस मास को छोटा पितृ पक्ष के रूप में भी माना जाता है। इस माह में पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण (Pinddan, Shraddha, Tarpan) करने से पितरों को शांति मिलती है। वहीं धार्मिक दृष्टि से भी इस मास को अति महत्वपूर्ण माना गया है। इस माह में हर प्रकार का शुभ कार्य किया जा सकता है।
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पौष में सुबह स्नान करने के पश्चात भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य प्रदान करना चाहिए। जल में लाल सिंदूर, लाल फूल और थोड़ा सा अक्षत (red vermilion, red flower and a little bit of akshat) डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य प्रदान करना चाहिए। वहीं इस माह में भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा भी करनी चाहिए। यह भी अति फलदायी होती है। इस माह में नियमित रूप से श्रीमद्भागवत गीता और विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करना चाहिए।
इस माह में लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। वहीं पौष माह में दान का भी विशेष महत्व माना गया है। इस माह में जरूरतमंदों को वस्त्र, तिल, गुड़, कंबल, गर्म कपड़ों आदि का दान करना चाहिए। ऐसा करने से पुण्य प्राप्त होता है। वहीं पूर्वजों की आत्मिक शांति के लिए इस माह तर्पण, पिंडदान आदि करना चाहिए। वहीं इस माह में गुड़ का सेवन करना अच्छा माना गया है। वहीं इस माह में बैंगन, मूली, मसूर की दाल, फूल गोभी, उड़द की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए। वहीं पौष मास में चीनी का सेवन ना करें। पौष मास में खरमास आरंभ हो जाएंगे, इसलिए इस माह में मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है। इस माह आने वाली अमावस्या और पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। पितृदोष, कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन उपवास रखने के साथ विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।