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ये वो शख्स है जो किसी छुपे रुस्तम से कम नहीं
Last Updated on December 25, 2021 by Vishal Rana
हिमाचल में विधानसभा चुनाव से 10 माह पहले सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जिस तरह से बिसात बिछाई उसके सामने वालों को हिलाया तो जरूर है। सुक्खू ने अपने दम पर न केवल आठ विधायकों के साथ दिल्ली में परेड की बल्कि दिवंगत वीरभद्र सिंह के साथ रहे दो से तीन विधायकों को भी अपने साथ लाने में सफलता हासिल की है। सुक्खू की राजनीति चुपचाप से चलती है। जिस वक्त वह पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष थे तो वीरभद्र सिंह उनका खुलकर विरोध करते थे लेकिन सुक्खू ने अपनी जुवान को हमेशा बंद रखा लेकिन जब भी खोली तो कोई कसर नहीं छोडी। ये वही सुक्खू है जो आज बिना शोर किए अपने साथ आठ विधायकों को लेकर पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला से मिलने पहुंचे। हालांकि इनमें दो से तीन लोग उपस्थित नहीं हो पाए लेकिन वह भी सुक्खू के साथ ही दम भर रहे हैं। इनमें एक तो सुजानपुर से राजेंद्र राणा जिनके नाम का खुलासा हमने एक दिन पहले ही किया है। वह वीरभद्र कैंप को छोड़कर सुक्खू की पैरवी कर रहे हैं। इसी तरह किन्नौर से जगत सिंह नेगी हाॅली लाॅज से जुड़े हुए थे,लेकिन वह भी खुलकर सुक्खू के साथ आ चुके हैं। वहीं शिलाई से हर्षवर्धन चौहान भी हाॅली लाॅज वाले नहीं। हालांकि वह अभी ओपन नहीं आए हैं। इसी तरह श्री नैना देवी से रामलाल ठाकुर इस वक्त तक अकेले ही दिल्ली के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन हाॅली लाॅज से उनका भी नाता नहीं है। यानी वह भी सुक्खू के साथ कदमताल कर सकते हैं। इसी तरह ऊना से विधायक सतपाल रायजादा व नालागढ़ से लखविंदर राणा तो सुक्खू के पहले से ही समर्थक रहे हैं। कांगड़ा से पवन काजल को अपने साथ लाने में सुक्खू सफल रहे है। वीरभद्र सिंह के जीते जी पवन काजल हाॅली लाॅज के ही कट्टर समर्थक थे। कुल्लू से सुंदर ठाकुर का नाता विक्रमादित्य सिंह से रहा है। लेकिन अब उनका भी सुक्खू से नाता जुड गया है। कोटखाई से रोहित ठाकुर तो सुक्खू से जुडे रहे हैं। अर्की से संजय अवस्थी को तो सुक्खू का पुराना साथी माना जाता है। लेकिन कुसुम्पटी से अनिरुद्ध सिंह को भी सुक्खू अपने साथ ले आए हैं। सुक्खू के खाते में एक बात तो जाती है कि उन्होंने छह वर्षों तक हिमाचल में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के नाते काम किया हुआ है। उनका एनएसयूआई से लेकर युवा कांग्रेस से होते हुए मुख्यधारा में अच्छी पकड़ है। पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के निधन के बाद उन्होंने अपने को राजपूत नेता के तौर पर स्थापित करने की दिशा में जो कदम बढाए है उसी का नतीजा है कि आज ये विधायक उनके साथ कदमताल कर रहे हैं। अब विधानसभा चुनाव से पहले सुक्खू को पार्टी प्रदेशाध्यक्ष या फिर नेता प्रतिपक्ष का पद पार्टी देती है या नहीं ये तो अलग बात है पर सुक्खू जिस चतुराई से काम कर रहे हैं वह कहीं ना कहीं दूसरे कैंप के लिए चिंता का विषय तो है ही।