-
Advertisement

मणिपुर: बिष्णुपुर में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों की भिडंत में 17 घायल
इंफाल। मणिपुर से रुक-रुककर हिंसा (Fresh Violence in Manipur) जारी है। ताजा हिंसा बिष्णुपुर जिले (Bishnupur District) में हुई है। गुरुवार को कांगवई और फौगाकचाओ इलाके में हिंसा भड़की है। बताया जा रहा है कि कुछ प्रदर्शनकारी और सुरक्षाबलों के बीच झड़प (Clashes) हो गई। अधिकारियों ने बताया कि हालात पर काबू करने के लिए सेना और आरएएफ के जवानों ने आंसू गैस के गोले दागे। इस दौरान 17 प्रदर्शनकारी घायल हो गए।
उधर, जिला प्रशासन ने इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम से कर्फ्यू में ढील को वापस ले लिया है। एहतियात के तौर पर पूरे इंफाल घाटी में रात के कर्फ्यू (Curfew) के अलावा दिन के दौरान भी प्रतिबंध लगा दिया है।
यह भी पढ़े:राज्यसभा में धनखड़ के इन शब्दों ने मणिपुर पर तनाव को खत्म कर दिया
14 हजार स्कूली बच्चे विस्थापित
नई दिल्ली। मणिपुर में 3 मई को भड़की जातीय हिंसा के कारण 14 हजार से अधिक बच्चे विस्थापित (Children Displaced) हुए हैं। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि इनमें से 93 प्रतिशत से अधिक बच्चों को पास के स्कूलों में दाखिला दिलाया गया है।

उन्होंने अपने जवाब में कहा, “मणिपुर की मौजूदा स्थिति के कारण स्कूल जाने वाले कुल 14,763 बच्चे विस्थापित हुए हैं। विस्थापित छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रत्येक राहत शिविर के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।” अन्नपूर्णा देवी ने आगे कहा, “93।5 प्रतिशत विस्थापित छात्रों को नजदीकी स्कूलों में मुफ्त में दाखिला दिया गया है।” केंद्र सरकार ने बताया कि मणिपुर के चार जिले चूड़ाचांदपुर (4,099) कांगपोकपी (2,822), बिष्णुपुर (2,063) और इंफाल पूर्व (2,053) में विस्थापित स्कूली बच्चों की संख्या सबसे अधिक है।
अनजान शवों के सामूहिक दफन पर रोक
केंद्रीय गृह मंत्रालय मणिपुर हिंसा में मारे गए गए 35 लोगों के शवों को सामूहिक दफनाने पर पांच दिन तक रोक रोक लगा दी है। द इंडिजेनश ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने इस बीच कहा है कि हम गृह मंत्रालय के अनुरोध पर विचार करेंगे, बशर्ते वे हमें पांच मांगों पर लिखित आश्वासन दें। यदि गृह मंत्रालय कार्यक्रम शुरू होने से पहले हमें यह लिखित आश्वासन देने में विफल रहता है, तो हम अपनी योजना के अनुसार शवों को दफनाना जारी रखेंगे। यदि गृह मंत्रालय हमें हमारी मांग पर लिखित आश्वासन देता है, तो हम कार्यक्रम जारी रखेंगे लेकिन दफन करने के फैसले को छोड़ देंगे।
ITLF की मांगें
ITLF के प्रवक्ता गिन्ज़ा वाउलज़ोंग ने बताया कि हमने सरकार के सामने पांच मांगे मांगी हैं। हमारी पहली मांग है कि दफन स्थल को वैध माना जाए। दूसरा – कुकी-ज़ो समुदायों की सुरक्षा के लिए सभी मैतेई राज्य बलों को सभी पहाड़ी जिलों में तैनात नहीं किया जाना चाहिए। तीसरा – इंफाल में पड़े कुकी-ज़ो समुदायों के शवों को चुराचांदपुर लाया जाना चाहिए, चौथी – हमारी राजनीतिक मांग – मणिपुर से पूर्ण अलगाव की गति तेज की जानी चाहिए, पांचवां – इंफाल की जेल में आदिवासी कैदियों को उनकी सुरक्षा के लिए अन्य राज्यों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।