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Bank में नहीं मिली Job तो 19 साल के युवक ने खोल दी SBI की फर्जी शाखा
नई दिल्ली। ठगी के तो आपने कई किस्से सुने होंगे, लेकिन आज हम आपको जो किस्सा सुनाने वाले हैं वो सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। अब तक आपने फर्जी बैंक खाता खोलने के कई मामले सुने होंगे, लेकिन तमिलनाडु में एक युवक ने बैंक की फर्जी शाखा ही खोल डाली। वह भी देश के सबसे बड़े भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) के नाम की शाखा। पिछले लगभग तीन महीनों से वो इस शाखा का संचालन भी कर रहा था। हालांकि इसके पीछे की कहानी बड़ी अनोखी है। मामला तमिलनाडु के कडलोर जिले के पनरुत्ती कस्बे की है। 80 हजार की आबादी वाले इस कस्बे में यह ब्रांच तीन महीने से चल रही थी और एक ग्राहक की शिकायत पर इसका भंडाफोड़ हो पाया। पुलिस ने 19 वर्षीय मास्टरमाइंड युवक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस का कहना है कि फिलहाल किसी व्यक्ति ने भी धोखाधड़ी की शिकायत (Fraud complaint) दर्ज नहीं कराई है।
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फर्नीचर से लेकर स्टेशनरी तक सब कुछ असली शाखा जैसा
दरअसल, पनरुत्ती में स्टेट बैंक की दो शाखाएं हैं। कुछ दिन पहले एक शाखा में एक ग्राहक पहुंचा और ब्रांच मैनेजर से पूछा कि शहर में तीसरी शाखा खुल गई और आपने बताया ही नहीं। यह सुनकर मैनेजर हैरान रह गए और तीसरी शाखा की बात को नकार दिया। जब ग्राहक ने कथित ब्रांच से मिली जमा पर्ची दिखाई तो मैनेजर का माथा ठनका। उन्होंने क्षेत्रीय कार्यालय से पता किया तो यह बात पुख्ता हो गई कि शहर में कोई नई शाखा नहीं खुली है। इसके बाद जब मैनेजर खुद उस फर्जी शाखा (Fake branch) में पहुंचे तो चकरा गए। वहां फर्नीचर से लेकर स्टेशनरी तक सब कुछ असली शाखा जैसा ही था। कैश डिपॉजिट चालान, रबर स्टैंप, फाइल पर बैंक का नाम छपा हुआ था। वहां करेंसी काउंटर मशीन, डेस्कटॉप कंप्यूटर, प्रिंटर और दर्जनों फाइलें भी मौजूद थीं।
मैनेजर की शिकायत पर पुलिस ने मास्टरमाइंड कमल (19 वर्ष), रबर स्टैंप वेंडर मणिकम (52 वर्ष) और प्रिंटिंग प्रेस संचालक कुमार (42 वर्ष) को हिरासत में ले लिया। पूछताछ में पता चला कि इन लोगों ने अप्रैल 2020 में ही इस फर्जी शाखा को खोला था। यही नहीं, पनरुत्ती बाजार शाखा के लिए एक वेबसाइट भी बनाई गई थी। पूछताछ में कमल ने बताया कि उसके माता-पिता बैंक में नौकरी (Job) करते थे। उनके पास बैंक जाने के दौरान उसे बैंकिंग की जानकारी हो गई थी। कुछ साल पहले पिता की मौत हो गई और मां रिटायर हो गई। अनुकंपा नौकरी के लिए आवेदन किया जिसमें देरी हुई तो उसने अपनी ही ब्रांच खोल ली। वह खुद का बैंक खोलना चाहता था। हालांकि उसका कहना है कि उसने किसी से धोखाधड़ी नहीं की।