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तीन किमी सड़क को पार करने में लग गया एक घंटा, 5 वर्ष के बच्चे ने तोड़ा दम
ऊना। कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र के दूरदराज के गांव कमूल में बुधवार की आधी रात को हुई एक घटना ने ना केवल पूरे गांव को बल्कि समूचे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। गांव तक जाने वाले बदहाल सड़क के चलते एक बच्चे की जान चली गई। सड़क की हालत ये थी कि 3 किलोमीटर के कच्चाी सड़क को पार करने में 1 घंटे का समय लग गया। अगर सड़क की हालत ठीक होती तो बच्चे की जान बच सकती थी। हुआ ये कि गांव कमूल में आधी रात करीब 1:30 बजे अपनी मां और बहन के साथ चैन की नींद सो रहा 5 वर्ष का मासूम बालक सर्पदंश का शिकार हो गया।
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बच्चे के रोने चिल्लाने पर परिजन उठे तो उन्हें सर्प दंश का पता चला। परिजनों द्वारा तुरंत शोर मचाकर आसपास के लोगों को भी बुलाया गया बच्चे को अस्पताल( Hospital) पहुंचाने के लिए किसी नजदीकी रिश्तेदार को गाड़ी लेकर आने को कहा गया। कई किलोमीटर के कच्चे रास्ते को पार करते हुए गाड़ी घर तक तो पहुंच गई, लेकिन जब घर से बच्चे को लेकर अस्पताल के लिए लोग निकले तो बीच रास्ते में गाड़ी पंक्चर हो गई। फिर भी जद्दोजहद जारी रही, परिजनों ने किसी तरह 5 साल के मासूम को एक निजी अस्पताल तक पहुंचा दिया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे ग्रामीणों में सन्नी और मंजीत ने कहा कि करीब 10 वर्ष पूर्व उनके गांव के लिए सड़क का काम शुरू हुआ था लेकिन महज लीपापोती करते हुए उन्हें ऐसे रास्ते पर छोड़ दिया गया जो बरसात के दिनों में उनके लिए जी का जंजाल बन जाता है। ग्रामीणों ने कहा कि यदि गांव की सड़क पक्की होती तो बच्चे को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सकता था। उन्होंने बताया कि 3 किलोमीटर के कच्चे रास्ते को पार करने में 1 घंटे का समय लग गया। यही समय बच्चे की जान बचाने के लिए अहम था लेकिन बदहाल रास्ते के चलते सब लोग बेबस महसूस कर रहे थे। वहीं दूसरी तरफ अस्पताल परिसर में 5 वर्ष के मासूम की मां का रो रो कर बुरा हाल था। दिवंगत बच्चे की माता ममता ने भी अपने बच्चे की मौत के लिए सिस्टम को जिम्मेदार ठहराया। उसने कहा कि यदि उनके गांव को आने वाला रास्ता अन्य गांवों की तरह पक्का होता तो शायद उनके लाडले को बचाया जा सकता था।