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पहाड़ों के लिए वरदान बनेगा Google: भूकंप आने पर देगा अलर्ट, जानें पूरा ब्योरा
नई दिल्ली। दुनिया भर में आए दिन भूकंप (Earthquake) आते रहते हैं, जिसके चलते काफी नुकसान होता है। वहीं, भारत में आने वाले भूकंप खासतौर पर पहाड़ी इलाकों में आते हैं। हालांकि यहां पर भूकंप आने से कोई खासा बड़ा नुकसान तो नहीं होता लेकिन भय का माहौल जरूर बना रहता है। इसके पीछे का प्रमुख कारण यह होता है कि किसी को इस बात का पता नहीं रहता है कि भूकंप कब आएगा। लेकिन अब इस समस्या का हल निकालने वाला है। दरअसल अब एंड्रॉयड यूजर्स के लिए गूगल एक नई तैयारी कर रहा है। गूगल द्वारा एंड्रॉयड स्मार्टफोन यूजर्स के लिए अर्थक्वेक वार्निंग टूल्स ऐड किया जा रहा है।
जानें, क्या है- एंड्रॉयड अर्थक्वेक अलर्टिंग सिस्टम
बतौर रिपोर्ट्स, गूगल ने कहा है कि वो एंड्रॉयड डिवाइसेज में अर्थक्वेक अलर्ट्स भेजने के लिए US जियोलॉजिकल सर्वे के साथ मिलकर काम करना शुरू कर रहा है। एंड्रॉयड की ओर से फोन्स के लिए अलर्ट ShakeAlert अर्थक्वेक अर्ली वॉर्निंग सिस्टम के जरिए भेजे जाएंगे। गूगल ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा भूकंप जैसी स्थिति में लोगों को कुछ सेकेंड पहले अलर्ट भेजकर उन्हें और उनके प्रियजनों को सुरक्षित रहने में मदद की जा सकती है। कंपनी ने कहा कि भूकंप आने पर उसे डिटेक्ट करने और अलर्टिंग सिस्टम को एडवांस्ड सिग्नल्स भेजने के लिए एंड्रॉयड फोन्स को मिनी सिस्मोमीटर में बदला जा सकता है। गूगल ने अपने इस पोस्ट में कहा कि हम इसे एंड्रॉयड अर्थक्वेक अलर्टिंग सिस्टम कह रहे हैं।
Is it possible to detect earthquakes with submarine cables? We think it might be.https://t.co/6oIZTxg1wk
— Sundar Pichai (@sundarpichai) July 16, 2020
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गूगल (Google) और अल्फाबेट (Alphabet) के सीईओ सुंदर पिचाई ने दावा किया है कि गूगल ने काफी पहले ऐसी तकनीकी के साथ प्रयोग करने शुरू कर दिए थे, जो भूकंप और सुनामी की आहट पहले से ही भांप लेती है। कंपनी इसके लिए समुद्र के अंदर की फाइबर केबल्स का इस्तेमाल करेगी। ये केबल्स सुनामी और भूकंप के आने से पहले ही पहचानने में समर्थ होती हैं, और एक वार्निंग सिस्टम के तौर पर इस्तेमाल में लाई जा सकती हैं। ये ऑप्टिकल फाइबर केबल्स 100 किमी तक के क्षेत्र में कोई भी हलचल को भांपने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। गूगल ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो एक बड़े इलाके को कवर कर सकती है। गूगल के मुताबिक, वो समुद्री सतह पर कोई भी हलचल को पहचानने के लिए पहले से मौजूद फाइबर केबल्स का ही इस्तेमाल कर रहे हैं।