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चीन ने #Dalai_Lama – पंचेन लामा के संस्थानों की स्थापना पर #UN में झूठे दावे प्रस्तुत किए
जिनेवा। संयुक्त राष्ट्र (UN) के स्वतंत्र विशेषज्ञों के हालिया संवाद में, चीन सरकार ने झूठा दावा किया है कि इसने दलाई लामा और पंचेन लामा की संस्थाओं की धार्मिक स्थिति और खिताब की स्थापना की है। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों द्वारा बीती 2 जून, 2020 को जारी किए गए संयुक्त आरोप पत्र की प्रतिक्रिया के रूप में चीनी (China) सरकार द्वारा संचार प्रस्तुत किया गया था। पत्र में, संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों (UN Independent Experts) ने 11वें पंचेन गेधुन चोयकी नीमा के बारे में जानकारी की मांग की थी। संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने तिब्बतियों की वास्तविक आशंकाओं का हवाला दिया था कि चीनी प्राधिकरण तिब्बती परंपराओं और तिब्बती बौद्ध समुदायों की इच्छा के विरुद्ध वर्तमान 14वें दलाई लामा के उत्तराधिकारी की पहचान और नियुक्ति करेगा बाबत चीनी सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की थी।
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भले ही चीन ने 8 जुलाई, 2020 को अपना जवाब प्रस्तुत किया था, यह केवल अनुवाद आवश्यकताओं के पालन के बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा हाल ही में सार्वजनिक किया गया था। पंचेन लामा (Panchen Lama) गेधुन चोयकी नीमा के ठिकाने पर, चीन ने एक बार फिर एक नियमित रूप से जवाब पेश किया और दावा किया कि वह एक सामान्य नागरिक है और अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वर्तमान में कार्यरत है। आगे कहा कि वह और उनके परिवार के सदस्य परेशान नहीं होना चाहते हैं।
हालांकि, दलाई लामा (Dalai Lama) के खिलाफ अपने हमले को बढ़ाते हुए, चीन सरकार ने दावा किया है कि उनके पास गेधुन चोयकी नीमा (Gedhun Choekyi Nyima) को मान्यता देने का अधिकार नहीं था। इसके अलावा, चीनी सरकार ने धार्मिक स्थिति और जीवित बुद्ध के वंश, दलाई लामा और पंचेन लामा के शीर्षक की स्थापना के लिए स्वामित्व का दावा किया है। जिनेवा स्थित तिब्बत ब्यूरो (Tibet Bureau Geneva) ने दुनिया के सबसे सम्मानित आध्यात्मिक नेताओं में से एक नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा के खिलाफ चीनी अवमानना वार्ता की निंदा की। इसके अलावा, तिब्बत ब्यूरो ने स्पष्ट रूप से जीवित बुद्ध के वंश के साथ-साथ दलाई लामा और पंचेन लामा के संस्थानों के चीन के झूठे दावों को खारिज किया है। पुनर्जन्म (Reincarnation) की अवधारणा तिब्बती बौद्ध धर्म के लिए अद्वितीय है और चीन का इस पर कोई दावा नहीं है। संयुक्त राष्ट्र में पिछले दरवाजे के माध्यम से तिब्बती बौद्ध धर्म के इन महत्वपूर्ण संस्थानों पर दावों को मुखर करने के चीन के प्रयासों का उद्देश्य अंततः तिब्बतियों को तिब्बत में पूर्ण अधीनता देना है और इसकी निंदा की जानी चाहिए।
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