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दलाई लामा का शांति का “नोबेल” हुआ 33 साल का
दलाई लामा विश्वभर में शांति के रूप में तिब्बती धर्मगुरु के नाम से जाने जाते हैं। दलाई लामा को 10 दिसंबर 1989 को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार (Nobel Peace Prize) मिला था। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार की 33वीं वर्षगांठ मनाने के लिए शनिवार, 10 दिसंबर 2022 को सुबह 10:00 बजे हिमाचल प्रदेश के मैक्लोडगंज स्थित तुगलखंग मुख्य मंदिर में एक आधिकारिक समारोह आयोजित करेगा। दलाई लामा का नाम तेनजिन ग्यात्सो है और उनका जन्म छह जुलाई 1935 को तिब्बत (Tibet) में हुआ। पिता का नाम चोक्योंग त्सेरिंग और माता का नाम डिकी त्सेरिंग था।
दलाई लामा एक मंगोलियाई पदवी है जिसका मतलब होता है ज्ञान का महासागर और दलाई लामा के वंशज करुणा, अवलोकेतेश्वर के बुद्ध के गुणों के साक्षात रूप माने जाते हैं। ऐसा विश्वास है कि दलाई लामा अवलोकितेश्वर या चेनेरेजिंग का रूप हैं जो कि करुणा के बोधिसत्त्व तथा तिब्बत के संरक्षक संत हैं। दलाई लामा अभी तक शांति और प्रसन्नता के प्रचार-प्रसार के लिए पूरी दुनिया के 65 से भी अधिक देशों की एक से अधिक बार यात्रा कर चुके हैं। वर्ष 1959 से लेकर अभी तक दलाई लामा (Dalai Lama) को 85 से भी ज्यादा पुरस्कार मिल चुके हैं।