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Dalai Lama बोले,China थोड़ा और समझने का प्रयास करे तो Tibet का समाधान संभव
मैक्लोडगंज। तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा (Tibetan Religious Guru) ने कहा है कि दुनिया भर में बहुत सारे बदलाव हो रहे हैं, विशेष रूप से चीन में। हम मध्य मार्ग (Middle Way) के माध्यम से तिब्बत (Tibet) के लिए एक समाधान खोजने की उम्मीद कर रहे हैं और हम इसके लिए प्रतिबद्ध भी हैं। दलाई लामा ने कहा कि अगर चीन (China) थोड़ा और समझने का प्रयास करे तो हम पारस्परिक रूप से इसका समाधान निकाल सकने में सफल होंगे। दलाई लामा ने ये बात आज नए सिक्योंग के शपथ ग्रहण के दौरान वर्चुअली शामिल होने के दौरान कहीं। दलाई लामा (Dalai Lama) ने कहा कि हमारा निर्वासित समुदाय वास्तव में लोकतांत्रिक तरीके से चल रहा है जिसे कोई भी देख सकता है। बौद्ध धर्म (Buddhism) की महान परंपरा जिसे हम तर्क और विज्ञान के साथ अपनी संस्कृति के रूप में संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं। अतीत में पश्चिम में बौद्ध धर्म का कोई अध्ययन नहीं है। उन्होंने हमारी धार्मिक प्रथाओं को लामावाद के रूप में देखा, लेकिन निर्वासन में हमारी साधना का पालन करने के बाद अब यह स्पष्ट है और सबसे पहले यह देखने के लिए है कि हम नालंदा परंपरा से बौद्ध धर्म का पालन करते हैं।
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दलाई लामा ने कहा कि हम वैज्ञानिकों के साथ खुली चर्चा करते रहे हैं, हमारे मठ बौद्ध तर्क के साथ आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शिक्षा देते हैं। तिब्बती धर्मगुरू ने कहा कि यद्यपि हम एक छोटे से निर्वासित समुदाय हैं, हमें भारत का समर्थन प्राप्त है और मैं सरकार और भारत के लोगों का बहुत आभारी हूं। बौद्ध धर्म का संरक्षण इनकी शिक्षाओं के अध्ययन और अभ्यास से आता है और यही हम करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं सभी संबंधित लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं। इस अवसर पर उन्होंने नए सिक्योंग पेंपा सीरिंग को (Tashi Delek) शुभाकामनाएं देते हुए निवर्तमान सिक्योंग डॉ. लोबसंग सांग्ये का धन्यवाद किया। याद रहे कि आज पेंपा सीरिंग (Penpa Tsering) ने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के अध्यक्ष पद की शपथ ग्रहण कर ली है। शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही पेंपा आधिकारिक तौर पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के पांच साल के लिए प्रधानमंत्री यानी सिक्योंग President (Sikyong) बन गए हैं। इन्हें तिब्बती समुदाय में सिक्योंग कहा जाता है। कोविड नियमों की पालना के तहत शपथ ग्रहण में चार ही लोग मौजूद थे।