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हिमाचल में अधिकारियों ने किया चारा घोटाला, स्कूली वर्दी में भी लगी सेंध
शिमला। कैग की रिपोर्ट ने सरकारी कारस्तानियों की बड़ी पोल खोल कर रख दी है। कैग रिपोर्ट के मुताबिक जयराम सरकार के आला अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर गबन किया है। जिससे आने वाले दिनों में जयराम सरकार की मुश्किलें बढ़ने वाली है। खास बात यह है कि बिहार में 90 के दशक में हुए चारा घोटाले का हिमाचल में अधिकारियों न रिमेक बना दिया। साथ ही कई सरकारी विभागों में 2.12 करोड़ रुपए का गबन हुआ है। वहीं, 116 करोड़ रुपए का गैर जरूरी भुगतान कर दिया गया। वह भी तब जब राज्य सरकार हजारों करोड़ों के कर्ज तले दबी हुई है। इन सारी बातों का खुलासा शुक्रवार को विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन हुआ। शुक्रवार को सीएम जयराम ठाकुर ने 2018-19 की भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी। जिसके बाद यह बात भी सामने आई थी कि सरकार लगभग 437.17 करोड़ रुपए का टैक्स भी नहीं वसूल पाई। साथ ही अधिकारियों द्वारा किए गए गबन और अनियमितता सामने आए।
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सिलसिलेवार ढंग से बताते हैं कहां कितना गबन हुआ है
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक पशुपालन विभाग में 99.71 लाख रुपए का गबन हुआ है। एचपीयू में 1.13 करोड़ रुपए का गबन हुआ है। स्कूल यूनिफॉर्म में 1.62 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ पहुंचाया गया है। वहीं, सरकारी प्राप्तियों और लाभार्थी अंश को ना तो रोकड़ बही में रेखांकित किया गया और ना ही सरकारी खाते में जमा करवाया। इस कांड में 99.71 लाख रुपए गबन हुआ है। कर्मचारी आवास गृह में 2.27 करोड़ रुपए का अनुचित खर्च हुआ है। 14.69 करोड़ आपदा राशि का दुरुपयोग किया गया। पवन हंस लिमिटेड के खराब सुरक्षा रिकॉर्ड के मुद्दे को अनदेखी कर मनमाने ढंग से 10 फीसदी की बढ़ोतरी की गई। जिसके चलते 18.39 करोड़ रुपए का अनावश्यक खर्च हुआ। अप्रयुक्त उड़ान घंटे पर 6.97 करोड़ रुपए का फिजूल खर्ची की गई। वहीं, सड़क ठेकेदारों को सरकारी बाबुओं ने 2.88 करोड़ रुपए का अनुचित फायदा पहुंचाया।
54 शहरी निकायों में ठोस कचरे का सही निष्पादन नहीं किया गया। जबकि 19 शहरी निकायों ने घर से निकलने वाले कूड़े कचरे को इधर-उधर फेंका गया। कूड़ा कचरा निष्पादन में भारी अनियमितता बरती गई। कूड़े की रिसाइकिलिंग कर उससे बिजली बनाने का प्रस्ताव था, लेकिन इस प्रस्ताव को भी सरकारी महकमे ने कूड़े में फेंक दी। जिस कारण शहरी निकायों में कूड़ा एकत्र करने और निष्पादन, ढुलाई पर 19.06 करोड़ रुपये की अनियमितताएं हुई हैं। पोल्ट्री फार्म नाहन में 10.61 लाख रुपए का गबन। इस गबन का आरोप अधीक्षक पर लगा है। पशु आहार योजना के तहत 7.20 लाख रुपए का गबन किया गया है। बकरी पालन में भी 7.20 लाख रुपए का गबन हुआ है। पॉलीटेक्निक कॉलेज निर्माण में देरी से 99.91 लाख का व्यय हुआ है।
साथ ही कैग की रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि जयराम सरकार अवैध निर्माण को रोकने में भी पूरी तरह असफल रही है। बिजली बोर्ड को 265.94 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद 393.97 करोड़ रुपये के बिजली उत्पादन की हानि हुई है। आपूर्ति संहिता के प्रावधानों का पालन नहीं से बोर्ड को 3.76 करोड़ रुपये का राजस्व भी कम मिला। बोर्ड ने प्रदेश विद्युत विनियामक आयुक्त की ओर से अप्रैल 2013 व अगस्त 2014 में जारी टैरिफ आदेशों को लागू नहीं किया। इसके चलते 1.78 करोड़ के अल्प वसूली में परिणत हुआ। बागवानी विभाग के दोषपूर्ण अनुबंध के कारण 1.47 करोड़ रुपए की क्षति हुई है। साथ ही आपूर्तिकर्ता को 80 फीसदी अग्रिम भुगतान करने और खराब सामग्री से यह हानि हुई। वहीं, विश्व बैंक की वित्तीय मदद से 1,53,450 उन्नत किस्म के पौधों के लिए तीन फर्मों से अनुबंध किए थे। लेकिन अनुचित निगरानी के चलते 25 फीसदी पौधे सूख गए। जिस कारण विभाग को 1.47 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
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