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फर्जी डिग्री से हिमाचल में किसी को नहीं मिली जॉब, करुणामूलक नौकरी से हटाई जाए यह शर्त
शिमला। अभी तक की जांच में फर्जी डिग्री (Fake Degree) से किसी भी व्यक्ति की ओर से प्रदेश में नौकरी प्राप्त करने का मामला संज्ञान में नहीं आया है। तीन निजी विश्वविद्यालयों के खिलाफ धर्मपुर, शिमला व बरोटीवाला पुलिस (Police) थानों में मामले दर्ज हैं। विधायक रामलाल ठाकुर के सवाल का लिखित जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री (Education Minister) ने बताया कि मानव भारती विश्वविद्यालय सोलन के खिलाफ धर्मपुर पुलिस थाना, एपीजी विश्वविद्यालय शिमला के खिलाफ राज्य गुप्तचर विभाग भराड़ी शिमला (Shimla) और आईईसी विश्वविद्यालय कालूझ़िडा के खिलाफ बरोटीवाला पुलिस थाना में मामला दर्ज है। मानव भारती विश्वविद्यालय और आईईसी विश्वविद्यालय के मामलों में जांच पूरी कर आरोप पत्र न्यायालय में पेश कर दिया गया है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
छात्रवृत्ति घोटाले में जारी है जांच
शिक्षा मंत्री ने बताया कि छात्रवृत्ति घोटाले (Scholarship Scam) में 27 शिक्षण संस्थानों के खिलाफ जांच जारी है। इनमें से 18 संस्थान प्रदेश में और नौ अन्य राज्यों में हैं। नवंबर 2018 में पुलिस थाना छोटा शिमला में यह मामला दर्ज हुआ था। मार्च 2019 में यह मामला सीबीआई को जांच के लिए सौंपा गया है। छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई कोर्ट (CBI Court) शिमला ने 11 निजी संस्थानों के मालिकों और कर्मचारियों के खिलाफ तीन चार्जशीट दी है। वर्तमान में यह मामला कोर्ट और सीबीआई के विचाराधीन है।
50 फीसदी उम्मीदवारों की जाएगी नौकरी
हिमाचल प्रदेश में करुणामूलक नौकरियों के मौजूदा प्रावधान से 50 फीसदी उम्मीदवार बाहर हो रहे हैं। राज्य सरकार ने प्रति परिवार सदस्य आमदनी की सीमा 62500 रुपए बरकरार रखकर यह पेच हटा दिया है। राज्य विधानसभा के मुख्य स्पीकर गेट से करीब 100 मीटर दूर रेलवे बोर्ड बिल्डिंग के पास करुणामूलक नौकरी (Job) की मांग कर रहे उम्मीदवारों का बुधवार को इस संबंध में क्रमिक अनशन 223वें दिन में प्रवेश कर गया। वहीं हिमाचल प्रदेश विधानसभा में भी कांग्रेस विधायक रोहित ठाकुर और अनिरुद्ध सिंह ने बजट पर चर्चा के दौरान करुणामूलक नौकरियों के मामले में समाधान नहीं निकाल पाने का मामला उठाया। सदन में यह मामला कई अन्य विधायकों ने भी बजट पर चर्चा के दौरान उठाया। प्रदेश में करीब 4500 लोग करुणामूलक नौकरियां चाह रहे हैं। इनके माता या पिता की सेवा के दौरान मृत्यु हुई है।
तृतीय श्रेणी के लिए नहीं हटी पदों की सीलिंग
करुणामूलक संघ हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष अजय कुमार और मुख्य सलाहकार शशि पाल का दावा है कि इनमें से कम से कम 2300 लोग बाहर हो रहे हैं। प्रति परिवार सदस्य आमदनी की सीमा 62500 रुपए तय है। इसमें पारिवारिक पेंशन से प्राप्त आय और कृषि से आमदनी को भी शामिल किया गया है। प्रति सदस्य आय के इस प्रावधान को पूरी तरह से हटाकर फ्लैट प्रावधान किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं करने से कुल 4500 आवेदकों में से करीब 2200 से 2300 लोग सीधे बाहर हो रहे हैं। उन्हें नौकरी नहीं मिल पाएगी। उन्होंने कहा कि 24 जनवरी 2022 को अधिसूचना जारी हुई कि चतुर्थ श्रेणी पर भर्ती के लिए विभागों में पदों की सीलिंग को पांच फीसदी से हटा दिया गया, लेकिन तृतीय श्रेणी के लिए ऐसा प्रावधान नहीं किया गया है। सात मार्च 2019 की नीति की इस व्यवस्था को बदला जाना चाहिए। जो लोग इस नीति के तहत आ रहे हैं, उन्हें एकमुश्त नौकरी दी जाए और जो नहीं आ रहे हैं, उनके लिए नीति में बदलाव हो। जब तक ऐसा नहीं होता यह अनशन जारी रहेगा।
सड़क से विधानसभा तक नप बद्दी के अविश्वास प्रस्ताव की गूंज
बद्दी। नगर परिषद बद्दी में भाजपा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव अब प्रशासन से लेकर सरकार तक के गले की फांस बन गया है। सड़क से लेकर विधानसभा तक नप बद्दी की गूंज सुनाई दे रही है। मंगलवार को जहां कांग्रेस ने बद्दी और नालागढ़ में विरोध प्रदर्शन कर सरकार व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। वहीं, बुधवार को विधायक राजेंद्र राणा ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया। विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि नगर परिषद में नप अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दाखिल हुआ। पार्षद खुद प्रत्यक्ष तौर पर डीसी सोलन के समक्ष पेश हुए। जिस पर प्रशाासन को कानून 15 दिन के अंदर नप में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को बहुमत साबित करने का नोटिस जारी करना चाहिए था, लेकिन पिछले एक महीने से अधिक का समय हो पाया। सरकार नप बद्दी में बीजेपी की साख बचाने के लिए मामले को लटका रही है। विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि जिस पार्षद की सदस्यता रद्द करने की आड़ में मामले को लटकाने का प्रयास किया जा रहा है उस पार्षद की सदस्यता किसी भी तरीके से रद्द नहीं हो सकती।
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