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गया में है तर्पण का सबसे ज्यादा महत्व, यहां जानिए कारण
सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों का तर्पण करने से उनका आशीर्वाद मिलता है। आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा और भाद्रपद की पूर्णिमा को पितृ पक्ष (Pitru Paksha) कहते हैं। पितृ पक्ष में लोग अपने पूर्वजों को तर्पण कर याद करते हैं और साथ ही उनके नाम पर उनकी मृत्यु तिथि पर श्राद्ध करते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि कि हमारे देश की तीन जगहों पर श्राद्ध करना उत्तम माना गया है।
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मान्यता है कि गयासुर नानर गयासुर नाम के असुर ने ब्रह्मा जी को यज्ञ के लिए अपना शरीर दे दिया था, उसके शरीर के अलग-अलग भाग जमीन पर गिरे जहां ये तीर्थ स्थित हैं। उसके मुंह के भाग से बिहार का गया पितृ तीर्थ, नाभि वाले भाग से जाजपुर का पितृ तीर्थ और पैर वाले भाग से राजमुंदरी का पीठापुरण पितृ तीर्थ स्थापित हुआ। पौराणिक मान्यता के अनुसार, ब्रह्मा ने सबसे पहले गया को श्रेष्ठ तीर्थ मानकर यज्ञ किया था। उसके बाद ओडिशा के जाजपुर और आंध्रप्रदेश के पीठापुरम में यज्ञ किया था। इसलिए इन तीनों जगहों को पितरों के तर्पण के लिए उत्तम माना जाता है।
बता दें कि इस साल 10 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत होगी और 25 सितंबर को इसका समापन होगा। पितृ पक्ष का पूर्णिमा श्राद्ध 10 सितंबर, द्वितीया श्राद्ध 11 सितंबर, तृतीया श्राद्ध 12 सितंबर, चतुर्थी श्राद्ध 13 सितंबर, पंचमी श्राद्ध 14 सितंबर, षष्ठी श्राद्ध 15 सितंबर,
सप्तमी श्राद्ध 16 सितंबर, अष्टमी श्राद्ध 18 सितंबर, नवमी श्राद्ध 19 सितंबर, दशमी श्राद्ध 20 सितंबर, एकादशी श्राद्ध 21 सितंबर, द्वादशी/संन्यासियों का श्राद्ध 22 सितंबर, त्रयोदशी श्राद्ध 23 सितंबर, चतुर्दशी श्राद्ध 24 सितंबर और अमावस्या श्राद्ध व सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध 25 सितंबर
को होगा।