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हिमाचल हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के दोषी शिक्षक की 10 साल की सजा पर लगाई मुहर
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court ) ने स्कूल अध्यापक जगतार सिंह को दुराचार के जुर्म के लिए सुनाई गई 10 साल के कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए निचली अदालत के फैसले पर अपनी मोहर लगा दी। जगतार सिंह को विशेष न्यायाधीश सिरमौर ने 10 वर्ष की कठोर कारावास व 10 हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई थी। जुर्माने की अदायगी न करने की सूरत में दोषी को एक वर्ष के अतिरिक्त कारावास काटने के भी आदेश दिए गए थे। मामले के अनुसार सितम्बर, 2016 में स्कूल की छुट्टी के पश्चात नाबालिग को उसके अंग्रेजी के अध्यापक ने अखबार में लिप्त एक पैकेट दिया और उसके कमरे में रखने को कहा।
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नाबालिग जब कमरे में पहुंची तो अध्यापक पहले से ही वहां मौजूद था। जैसे ही नाबालिग कमरे में दाखिल हुई अध्यापक (Teacher) ने कमरे को कुंडी लगा कर बंद कर दिया। 10वीं की नाबालिग छात्रा ने शोर मचाया तो दोषी ने उसे जान से मार देने की धमकी दी। इसके बाद दोषी ने उससे दुष्कर्म (Rape) किया। धमकाए जाने के कारण उसने किसी को कुछ नहीं बताया। दो महीनों बाद जब पीड़िता की तबियत खराब होनी शुरू हुई तो उसके चाचा ने पीड़ित को हॉस्पिटल में दिखाया। डॉक्टर ने उसे एनिमिक बताया परंतु कुछ महीनों बाद उसके पेट में सूजन आने लगी जिससे उसे संदेह हुआ कि उसके पेट में बच्चा हो सकता है। उसने दोषी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
इसके पश्चात मई 2016 में पीड़िता ने हॉस्पिटल में एक बच्चे को जन्म भी दिया। फोरेंसिक प्रयोगशाला की रिपोर्ट में दोषी ही बच्चे का पिता पाया गया। जांच कार्य पूरा होने के बाद अभियोजन पक्ष ने विशेष न्यायाधीश सिरमौर की अदालत (Sirmaur District Court) में चालान पेश किया। अभियोजन पक्ष ने दोष साबित करने के लिए 15 गवाह पेश किए। अदालत ने आरोपी को दुष्कर्म के जुर्म का दोषी ठहराया और उपरोक्त सजा सुनाई। इस निर्णय को दोषी ने हाईकोर्ट के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े तमाम रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि अभियोजन पक्ष पूरे तरीके से दोषी के खिलाफ अभियोग साबित करने में सफल रहा है।