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3 महीने में ही 30 रुपए किलो महंगी हुई अरहर दाल अब अफ्रीका से मंगवाएंगे
देश में अगर कोई दाल सबसे ज्यादा बार महंगी होती आई है तो वो अरहर (Arhar) है। इस बार भी 3 महीने में ही अरहर की दाल में 30 रुपए का इजाफा (Price rise 30 rupee in a three month) हो चुका है। दामों में लगातार उछाल के बाद सरकार (Govt) ने प्रयास किए और मार्च में अरहर के भंडारण (Storage of Arhar) पर रोक लगा दी। कई जगह छापेमारी भी हुई लेकिन रेट कम नहीं हुए। अब सरकार अरहर की दाल अफ्रीका से मंगवाने (Import from Africa) जा रही है। यानी फिलहाल कम से कम 2 महीने और अरहर के रेट कम होने के आसार नहीं हैं।
एक ऐसा दाल जिसकी पूरे देश में खपत
पूरे देश में इस समय अरहर के रेट 125 से 130 रुपए के बीच चल रहे हैं जबकि जनवरी तक ये दाल 100 रूपए किलो के आसपास थी। देश में इस बार अरहर की पैदावार (Production) भी कम हुई थी। इसकी वजह ये भी थी कि किसानों ने इस बार अरहर की बुवाई कम की थी तो पैदावार भी कम हुई। जबकि अरहर की दाल उन दालों में से है जो पूरे देश में इस्तेमाल होती है। सफेद चना या राजमा और काला चना जैसी दालें पूरे देश में नहीं बल्कि अलग हिस्सों में खाई जाती है। लेकिन अरहर की दाल की खपत पूरे देश में होने से इस दाल की जरूरत सबसे ज्यादा रहती है।
तैयार होने में लेती है 8 महीने तो किसानों ने छोड़ी पैदावार
अरहर की दाल तो तैयार होने में 8 महीने लग जाते हैं। इस अवधि में किसान (Farmers) दूसरे फसलों की दो पैदावार ले लेता है। यही वजह रही कि पिछले साल अरहर की पैदावार (Production) भी कम हुई। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh), महाराष्ट्र (Maharashtra), कर्नाटक (Karnataka) में अरहर की पैदावार ज्यादा होती है और किसानों ने यहीं पर अरहर कम बुवाई की। फिर गेहूं.धान की तरह इसकी सरकारी खरीद भी नहीं होती। इन हालात में पैदावार कम हुई और मांग ज्यादा होने से डिमांड और सप्लाई का नियम फिर सामने आया और रेट दाम बढ़ गए।
अफ्रीका और म्यांमार से आएगी अब अरहर की दाल
देश में 2021 में 42 लाख टन अरहर की प्रोडक्शन थी जो कि 2022 में 19 % घटकर 34 लाख टन रह गया। पिछले साल 4.5 लाख टन दाल बाहर से मंगवाई गई थी। लेकिन इस बार ज्यादा दाल बाहर से मंगवाई जा रही है। म्यांमार समेत कई अफ्रीकी देश भारत को निर्यात करने के लिए ही अरहर उगाते हैं। इस बार भी यहीं से ये दाल आएगी और उम्मीद की जा रही है कि आयातित दाल खुदरा बाजार में आने के बाद ही दामों पर लगाम लग सकती है। लेकिन ये राहत पाने में दो माह लग सकते हैं।
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