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चंद्रमा के गड्ढों में हो सकता है पानी; चंद्रयान-3 के उठाया रहस्य से पर्दा
नई दिल्ली। चंद्रमा की जमीन पर पड़े विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर (Vikram Lander And Pragyan Rover On The Moon) को जगाने की इसरो की कोशिश के बीच चंद्रयान-3 (Chandrayan 3) ने कई रहस्यों से पर्दा उठाया है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के कई ऐसे क्रेटर हैं, जहां पर सूरज का प्रकाश नहीं पहुंचता है। अभी तक के मिले डाटा से पता चलता है कि इन क्रेटर यानी गड्ढों में पानी हो सकता है। यह पानी बर्फ के रूप में मौजूद है।
नए शोध के मुताबिक, संभावना है कि इनके अंदर पहले की तुलना में पानी कम हो। यह स्थायी रूप से अंधेरे में रहने वाले इलाके कहे जा रहे हैं। भविष्य में इन गड्ढों के पास कई मिशन उतरेंगे, क्योंकि माना जाता है कि इनके अंदर बर्फ (Ice) है। अंतरिक्ष यात्री इसका इस्तेमाल भविष्य के मिशन के दौरान करेंगे।
पानी से बना सकते हैं रॉकेट फ्यूल
अगर इन गड्ढों में पानी मिलता है तो उसमें से ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को अलग करके भविष्य में रॉकेट फ्यूल (Rocket Fuel) बनाया जा सकता है। वैज्ञानिकों का सबसे अधिक ध्यान इसे रॉकेट फ्यूल बनाने पर है। उनका मकसद हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग करना है। अगर वैज्ञानिकों को इस काम में सफलता मिल जाती है, तो मंगल ग्रह के लिए जो मिशन जाएगा, वह यहां से होकर जाएगा। लेकिन नए अध्ययन के निष्कर्षों से जानकारी मिली है कि पीएसआर अधिक से अधिक 3.4 अरब साल पुराने हैं। जिन विशाल गड्ढों में यह हैं, वह 4 अरब साल पुराने हैं।
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गैस का बाहर आना पानी के संभावित स्रोत
नए अध्ययन से संकेत मिला है कि जितना पानी माना जाता है, उसकी मात्रा के आंकड़े को कम करना चाहिए। एरिजोना में प्लैनेटरी साइंस इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ वैज्ञानिक और नए अध्ययन के प्रमुख लेखक, नॉर्बर्ट शॉर्गोफर ने कहा कि इंपैक्ट और गैस का बाहर आना संभावित स्रोत हैं।