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Flashback 2023- पहली जनवरी, पहली बार ‘सुख’ सरकार ने अनाथ बच्चों को बनाया ‘चिल्ड्रन ऑफ स्टेट’
शिमला। ढेर सारी खट्टी-मीठी यादों के साथ साल 2023 का कैलेंडर (Calendar) बदलने वाला है। इस एक साल ने हिमाचल के लोगों को प्राकृतिक आपदा (Himachal Rain Disaster) के रूप में जहां कभी न भूलने वाले जख्म दिए हैं, वहीं राज्य की ‘सुख’ सरकार के व्यवस्था परिवर्तन के रूप में उम्मीदें भी दी हैं। गुजरते साल के पुनरावलोकन (Retrospection) के रूप में हिमाचल अभी अभी आपको ऐसी ही कुछ यादों का गुलदस्ता पेश कर रहा है।
साल ही पहली तारीख। लोग इस तारीख को पूजा-अर्चना और प्रार्थनाओं के साथ जीवन की शुरुआत करते हैं। ठीक इसी तरह हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhwinder Singh Sukhu) ने भी ठान रखा था कि इस खास दिन कुछ करना है। दोपहर होते बात साफ हो गई कि सीएम क्या करने वाले हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम ने मुख्यमंत्री सुखाश्रय कोष के गठन का ऐलान कर दिया। 101 करोड़ के बजट के साथ सुक्खू सरकार ने देश में पहली बार अनाथ बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ स्टेट’ (Children of The State) का दर्जा दिया और सरकार इन निराश्रित बच्चों की संरक्षक (Patron) बन गई।
जो कहा, वह कर दिखाया
शिमला में 1 जनवरी को हुई इस प्रेस वार्ता में सरकार ने जो कहा, वही किया। विधानसभा के बजट सत्र (Budget Session) में निराश्रित बच्चों के लिए एक कानून लाया गया। इसके बाद 6 अप्रैल 2023 को निराश्रित बच्चों को अधिकार देने वाला देश का पहला राज्य बन गया। सरकार ने 4000 ऐसे बच्चों को गोद लिया, जिनके मां-बाप इस दुनिया में नहीं हैं।
सचिवालय न जाकर अनाथालय चले गए
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि जब उन्होंने रिज मैदान (Ridge Ground Shimla) पर शपथ ली। तब सभी उनका इंतजार सचिवालय में कर रहे थे, लेकिन वे सचिवालय न जाकर सीधे अनाथालय (Orphanage) गए। उन्होंने कहा कि उसी दिन उन्होंने बच्चों से कई चीज सीखी। बच्चों से कोई बात तो नहीं हुई, लेकिन उन्होंने उनके मन को पढ़ लिया। उसी दिन यह निश्चय कर लिया था कि निराश्रित बच्चों के लिए कुछ बड़ा करना है।
लैपटॉप से लेकर स्टार्टअप तक
3 अक्टूबर, 2023 को हिमाचल प्रदेश सरकार ने दो हजार 466 बच्चों को 4.68 करोड़ रुपए की राशि वितरित की। इसके अलावा इन बच्चों के लिए लैपटॉप और मोबाइल स्मार्टफोन (Mobile Smart Phone) का भी प्रबंध किया गया, ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई परेशानी न हो। इस दिन कई निराश्रित बच्चों को स्टार्टअप के लिए भी सरकार ने आर्थिक मदद की। जनवरी से अक्टूबर तक कई बैठकों के बाद इस योजना को ग्राउंड जीरो पर लागू किया गया। सीएम ने कहा कि इस योजना का निराश्रित बच्चों को फायदा मिलने के बाद उन्होंने खुद को फलीभूत महसूस किया।
…और जेबखर्च से लेकर शादी तक सब-कुछ
हिमाचल प्रदेश सरकार 27 साल की उम्र तक के अनाथ बच्चों को चार हजार रुपये मासिक जेब खर्च, कोचिंग के लिए एक लाख रुपए, तीन बिस्वा भूमि (Land) और मकान निर्माण के लिए तीन लाख रुपये, शादी के लिए दो लाख रुपये का अनुदान और सूक्ष्म एवं लघु उद्योग लगाने के लिए दो लाख रुपये का अनुदान दे रही है। दशहरे और दिवाली पर इन बच्चों के लिए नए कपड़े, मिठाइयां, पटाखे और विशेष जेब खर्च भी सरकार की ओर से दिया गया। कहते हैं साल के पहले दिन अच्छा काम करने पर पूरा साल आसान हो जाता है। सुक्खू सरकार ने पहली जनवरी को निराश्रित बच्चों (Destitute Children ) की दुआएं बटोरकर वाकई बड़ा काम किया।