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हाटी को जनजाति का दर्जा देने के विरोध में याचिकाओं पर सुनवाई जारी
विधि संवाददाता/शिमला। सिरमौर जिले के ट्रांसगिरी क्षेत्र (Transgiri Area In Sirmour) को जनजातीय क्षेत्र (Tribal Area) घोषित करने के विरोध में दायर याचिकाओं पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में सुनवाई सोमवार को भी जारी रही। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ के सामने मामले से जुड़ी करीब 7 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हुई। कुछ लोगों ने जनजातीय क्षेत्र घोषित करने के पक्ष में याचिकाएं दायर की है तो कुछ इसका विरोध कर रहे हैं। कुछ छात्रों और अभ्यर्थियों ने जनजाति से जुड़े प्रमाणपत्रों (Certificates) की मांग भी की है, जिससे वे आरक्षण का लाभ प्राप्त कर सकें। इस मामले में गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति और गुर्जर समाज कल्याण परिषद जिला सिरमौर ने आरोप लगाया है कि बिना जनसंख्या सर्वेक्षण (Census) के ही उक्त क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित कर दिया गया।
अगड़ों को भी मिल गया आरक्षण
परिषद का कहना है कि वे पहले से ही अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति से सम्बंध रखते है। आरोप है कि प्रदेश में कोई भी हाटी जनजाति (Hatti Tribe) नहीं है और आरक्षण का अधिकार हाटी के नाम पर उच्च जाति के लोगों को भी दे दिया गया, जो कि कानूनी तौर पर गलत है। किसी भी भौगोलिक क्षेत्र को किसी समुदाय के नाम पर तब तक अनुसूचित जनजाति घोषित नहीं किया जा सकता, जब तक वह अनुसूचित जनजाति के रूप में सजातीय होने के मानदंड को पूरा नहीं करता हो। देश में आरक्षण नीति के अनुसार अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को पहले से ही मौजूदा कानून के तहत क्रमशः 15 और 27 फीसदी आरक्षण मिल रहा है। इससे उन्हें उच्च और आर्थिक रूप से संपन्न समुदाय के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी और पंचायती राज और शहरी निकाय संस्थानों में अनुसूचित जाति समुदायों के स्थान पर अब एसटी समुदाय को आरक्षण दिया जाएगा।
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केंद्र ने सितंबर में दिया था जनजाति का दर्जा
केंद्रीय मंत्रिमंडल (Central Cabinet) ने सितंबर 2022 में हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के हाटी समुदाय को आदिवासी दर्जा (Tribal Status) देने की घोषणा की थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने 4 अगस्त को जारी अधिसूचना के तहत ट्रांसगिरी क्षेत्र के हाटी को अनुसूचित जनजाति में शामिल कर दिया था।