-
Advertisement
हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: 2 माह में हिमाचल सरकार को वाइल्ड फ्लॉवर होटल सौंपे ओबेरॉय ग्रुप
लेखराज धरटा/ शिमला। होटल वाइल्ड फ्लॉवर (Hotel Wild Flower) हॉल पर मालिकाना हक के मामले में शुक्रवार को हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने ओबेरॉय ग्रुप की रिव्यू पिटीशन खारिज कर दी। कोर्ट ने 2 माह के भीतर ओबेरॉय ग्रुप (Oberoi Group) को वाइल्ड फ्लॉवर होटल हिमाचल सरकार को सौंपने के लिए कहा है। जस्टिस सत्यैन वैद्य की बेंच ने यह फैसला हिमाचल सरकार के वॉरंट ऑफ पजेशन पर दिया है। इस फैसले की कंप्लायंस रिपोर्ट (Compliance Report) 15 मार्च तक कोर्ट को देनी होगी। इसका मतलब हुआ कि छराबरा स्थित इस ऐतिहासिक होटल पर 15 मार्च तक हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) का कब्जा हो जाएगा।
इससे पहले हिमाचल सरकार ने पिछले साल 18 नवंबर को वाइल्ड फ्लॉवर होटल पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद HPTDC होटल के संचालन के लिए वहां अपना एडमिनिस्ट्रेटर भी बिठा दिया था। लेकिन, कुछ ही घंटे के भीतर ओबेरॉय ग्रुप हाईकोर्ट से स्टे ले आया था। उसके बाद ओबेरॉय ग्रुप ने कोर्ट में रिव्यू पिटीशन (Review Petition) डाला था।
यहां समझें क्या है ये पूरा मामला…
CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इससे पहले कहा था कि लीज पर दी गई 126 बीघा जमीन का एक भी पैसा राज्य सरकार को नहीं मिला है। यह हमारा अधिकार है। सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन हम अपनी संपदा लूटने नहीं देंगे। हिमाचल सरकार और ओबेरॉय ग्रुप के बीच हुए एग्रीमेंट के बावजूद पिछले 25-30 सालों से सरकार को एक फूटी कौड़ी नहीं मिली। इससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ। CM ने कहा कि ओबेरॉय ग्रुप में लगभग 120 करोड़ रुपए हिमाचल को देने थे, लेकिन नहीं दिए।
1993 में लगी भी भीषण आग
वाइल्ड फ्लॉवर पहले HPTDC के पास था। मगर 5 अप्रैल 1993 को बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण भीषण आग (Major Fire In Hotel) से लकड़ी से बना होटल जलकर राख हो गया था इस स्थान पर नया होटल बनाने के लिए राज्य सरकार ने ओबेरॉय ग्रुप की ईस्ट इंडिया होटल कंपनी के साथ करार किया। करार के अनुसार कंपनी को चार साल के भीतर पांच सितारा होटल का निर्माण करना था। ऐसा न करने पर कंपनी को 2 करोड़ रुपए जुर्माना प्रतिवर्ष राज्य सरकार को अदा करना था। वर्ष 1996 में सरकार ने कंपनी के नाम जमीन को ट्रांसफर किया।
फिर ईस्ट इंडिया होटल से रद्द हुआ करार
6 वर्ष बीत जाने के बाद भी कंपनी पूरी तरह होटल को उपयोग लायक नहीं बना पाई। साल 2002 में सरकार ने कंपनी के साथ किए गए करार (Agreement) को रद्द कर दिया। सरकार के इस निर्णय को कंपनी लॉ बोर्ड के समक्ष चुनौती दी गई। बोर्ड ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया था। सरकार ने इस निर्णय को हाईकोर्ट की एकल पीठ के समक्ष चुनौती दी। हाईकोर्ट ने मामले को निपटारे के लिए मध्यस्थ के पास भेजा। मध्यस्थ ने कंपनी के साथ करार रद्द किए जाने के सरकार के फैसले को सही ठहराया था और सरकार को संपत्ति वापस लेने का हकदार ठहराया।
कभी लॉर्ड किचनर का रहा निवास
ब्रिटिश सेना के पूर्व कमांडर लॉर्ड किचनर का पूर्व निवास, वाइल्ड फ्लॉवर हॉल 5 सितारा रिजॉर्ट है, जो एक भव्य आलीशान घर के माहौल का अनुभव कराता है। 1909 में, लॉर्ड किचनर ने इंग्लैंड लौटने के बाद, वाइल्ड फ्लॉवर हॉल को रॉबर्ट हॉट्ज और उनकी पत्नी को बेच दिया गया। 1925 में, पुराने घर को ध्वस्त करने के बाद, होट्ज ने एक बढ़िया तीन मंजिला होटल बनवाया। आजादी के बाद होटल को भारत सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया। 1971 तक यह इंडियन टूरिज्म के अधीन रहा। 1973 में इसे HPTDC को दिया गया। जिसमें 1993 तक वाइल्ड फ्लॉवर हॉल होटल चलाया।