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देश में दूसरी बार अध्यक्ष पद के लिए होगा चुनाव, नहीं बन पाई आम सहमति
Election for Loksabha speaker: देश के इतिहास में दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष पद (Speaker of the Lok Sabha) पर चुनाव होगा। सत्तारूढ़ भाजपा नीत राजग और विपक्ष (BJP led NDA and opposition) के बीच आम सहमति नहीं बन पाई है ऐसे में यह चुनाव करवाने की नौबत आई है। जहां एनडीए (NDA) की तरफ से बीजेपी सांसद (BJP MP Om Birla) ओम बिरला उम्मीदवार होंगे वहीं विपक्ष, कांग्रेस नेता सुरेश (Congress leader Suresh) पर दांव खेलेगा।
जिम्मेदारी पूरी नहीं कर सके राजनाथ सिंह और रिजिजू
आपको बता दें, लोकसभा अध्यक्ष (speaker) पद के उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू (Parliamentary Affairs Minister Kiren Rijiju) को जिम्मेदारी मिली थी। पहले माना जा रहा था कि अगर लोकसभा अध्यक्ष के लिए एनडीए (NDA) के उम्मीदवार पर आम सहमति बनती है तो उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के पास जा सकता है। इससे पहले बीजेपी ने साल 2014 में अन्नाद्रमुक के एम थंबी दुरई को उपाध्यक्ष पद दिया था। वहीं 2019 में दोबारा सरकार बनने के बाद यह पद नहीं भरा गया और तब से अभी तक यह पद खाली चल रहा है।
विपक्ष ने मांगा डिप्टी स्पीकर का पद
उधर, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने NDA के उम्मीदवार को समर्थन देने के लिए राजनाथ सिंह का फोन आने की बात कही है। सांसद ने कहा कि परंपरा के मुताबिक उपसभापति का पद विपक्ष को दिया जाना चाहिए। राजनाथ सिंह ने मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) को फोन किया, और उन्होंने उनसे स्पीकर को समर्थन देने के लिए कहा। पूरे विपक्ष ने कहा कि हम स्पीकर का समर्थन करेंगे, लेकिन परंपरा यह है कि डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को दिया जाना चाहिए।
16 लोकसभा से जारी परंपरा टूटेगी
बता दें, इन चुनावों के साथ ही 16 लोकसभा से जारी परंपरा टूट जाएगी। इससे पहले 15 मई 1952 को पहली लोकसभा के अध्यक्ष के लिए भी चुनाव हुआ था। इस चुनाव में सत्ता पक्ष के जीवी मावलंकर उमीदवार थे। उनका मुकाबला शंकर शांतराम मोरे से था। मावलंकर के पक्ष में 394 वोट पड़े थे जबकि, 55 वोट उनके खिलाफ पड़े थे। इस तरह मावलंकर आजादी से पहले देश के पहले लोकसभा स्पीकर बने थे।