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Results for "छोटी दीपावली"
हिमाचल: पांचवीं से सातवीं कक्षा के छात्रों के लिए स्कूल खोलने को लेकर दीपावली के बाद होगा फैसला
पांचवी से सातवीं कक्षा के छात्रों को स्कूल बुलाने का फैसला दीपावली के बाद होगा। उपचुनाव के कारण सरकार अभी छोटी कक्षाओं के बच्चों के लिए स्कूल खोलने के पक्ष में दिखाई नहीं दे रही है।
इस जिला में अब छोटी दिवाली पर 13 नवंबर को होगा Local Holiday
कोविड-19 महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन (Lockdown) के कारण सरकार ने मेलों, त्योहारों व उत्सवों आदि के आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया है।
कौव्वे, कुत्ते,गौमाता के बाद लक्ष्मी पूजन; ऐसी होती है गोरखाओं की दिवाली
चंबा (सुभाष महाजन)। गोरखा समाज (Gurkha Community) के लोगों की दिवाली (Diwali) परंपरागत रूप से सबसे अलग होती है। धनतेरस के लिए गोरखा कौव्वों (Worship Crow) की पूजा करते हैं। उसके अगले दिन, यानी नरक चतुर्दशी को ये घर के पालतू कुत्तों (Pet Dogs) की पूजा करते हैं। एक बात समान है। दिवाली के दिन… Continue reading कौव्वे, कुत्ते,गौमाता के बाद लक्ष्मी पूजन; ऐसी होती है गोरखाओं की दिवाली
अनुराग ठाकुर ने परिवार सहित किए मां ज्वाला के दर्शन
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण व खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ स्थानीय विधायक एवं राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला और बीजेपी के नेता व कार्यकर्ता भी मौजूद थे।
तिब्बती नव वर्ष लोसर का महत्व और इतिहास
यह त्योहार पचैद का स्टेग के शुरू में मनाया जाता है। मूलतः यह तिब्बती समुदाय का प्रमुख धार्मिक उत्सव है जिसे ये लोग उसी उल्लास से मनाते हैं जैसे हिंदुओं में दीपावली या होली का पर्व मनाया जाता है।
तिब्बतियों का नववर्ष Losar शुरू, घरों में ही हो रहे छोटे-छोटे आयोजन
मैक्लोडगंज। तिब्बती समुदाय का 2149 वां नववर्ष यानी लोसर (Losar) आज से शुरू हो गया है। तिब्बती समुदाय (Tibetan community) के लोग अपने घरों में ही इसे मना रहे हैं। आज सुबह तिब्बती समुदाय के लोगों ने अपने-अपने घरों में पूजा अर्चना की। इसी बीच आज से मैक्लोडगंज स्थित मुख्य बौद्ध मंदिर भी खोल दिया गया… Continue reading तिब्बतियों का नववर्ष Losar शुरू, घरों में ही हो रहे छोटे-छोटे आयोजन
तिब्बतियों के नववर्ष Losar पर होने वाले सभी कार्यक्रम स्थगित, घरों में होगी पूजा-कल सीटीए हॉल में संक्षिप्त कार्यक्रम
तिब्बती कैलेंडर के अनुसार भी यह वर्ष के पहले महीने का पहला दिन होता है। विश्व में जहां कहीं भी बौद्ध लोग बसे हुए हैं वहां यह पर्व मनाया जाता है।
इस दिवाली जलाएं गोबर से बने दीये
छोटी काशी के नाम से विख्यात मंडी जिला इस बार राष्ट्रीय कामधेनू आयोग के आहवान पर ईको फ्रेंडली दीपावली मनाने में अपनी अहम भूमिका निभाने जा रहा है।