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शिमला। एबीवीपी और एसएफआई को पीजी (PG) कक्षाओं में मेरिट के आधार पर दाखिला मंजूर नहीं है। इसको लेकर एक तरफ जहां अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) हिमाचल विश्वविद्यालय इकाई ने पिंक पैटल चौक पर एचपीयू प्रशासन के खिलाफ हल्ला बोला। तो एसएफआई एचपीयू इकाई ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है। एबीवीपी इकाई अध्यक्ष विशाल वर्मा ने कहा कि कोरोना की आड़ में एचपीयू (HPU) प्रशासन अब अपनी जिम्मेदारी से भागता हुआ नजर आ रहा है। यूजीसी निर्देशों की आड़ में प्रदेश भर के छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने पर उतारू है। हाल ही में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा प्रवेश परीक्षा की जगह मेरिट के आधार पर पीजी (PG) कक्षाओं में दाखिले की बात कही गई है, जिसका अभाविप विरोध करती है। यह अनेकों छात्रों के साथ धोखा है। पहले तो विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा करवाने की बात करता रहा लेकिन अब एकदम से मेरिट (Merit) आधारित दाखिलों की बात कर रहा है। छात्रों से पहले तो एंट्रेंस के नाम पर फीस वसूली जाती है और बाद में यूजीसी (UGC) निर्देशों के बहाने से प्रवेश परीक्षा नहीं करवाना हजारों छात्रों के साथ धोखा है। वहीं, पेपर चेकिंग की बात करें तो अनेकों अनियमितताएं पेपर चेकिंग में सामने आ रही हैं, जिस तरह पेपर चेकिंग में लापरवाही बरती जा रही है, उसकी वजह से हजारों छात्र कॉलेज छोड़ने पर मजबूर हैं।
कोरोना (Corona) काल में विश्वविद्यालय पूरी फीस वसूल रहा है। यहां तक कि कुछ विभागों में फीस वृद्धि भी कर दी गई है। कोरोना काल में यूजी की परीक्षा करवाने से पहले प्रदेश सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कहा गया था कि कोई छात्र कारणवश पेपर नहीं दे पाता है तो उसके बाद विश्वविद्यालय उसका पेपर के लिए अलग से प्रबंध करेगा, लेकिन अब शायद सरकार और विश्वविद्यालय दोनों ही यह भूल चुके हैं और विश्वविद्यालय तो पीजी कक्षाओं में एडमिशन की तैयारी में है। ऐसे में यह उन छात्रों के साथ धोखा है जो इंटरस्टेट (Interstate) परिवहन बंद होने या कोरोना संक्रमित होने की वजह से परीक्षा ना दे पाए थे। एबीवीपी ने यह सुझाव भी दिया कि विश्वविद्यालय प्रशासन को एक दिन सब प्रवेश परीक्षाएं करवानी चाहिए। एचपीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी (Central University) से सीख लेनी चाहिए, जिसके पास ना तो अपना स्थाई परिसर है, ना ही कोई संबद्ध महाविद्यालय है। बावजूद इसके केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश एक ही दिन में सब प्रवेश परीक्षाएं करवा रहा है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से सम्बद्ध 128 सरकारी यूजी व पीजी महाविद्यालय हैं, फिर भी प्रवेश परीक्षा करवाने से प्रशासन गुरेज कर रहा है।
एसएफआई एचपीयू ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने जो इस साल नए शैक्षिणक सत्र के लिए पीजी, एलएलएम व एमफिल में मेरिट के आधार पर प्रवेश का निर्णय लिया है, उसे तुरंत प्रभाव से विश्वविद्यालय प्रशासन वापस ले। क्योंकि विश्वविद्यालय में प्रवेश पाने का अधिकार सभी छात्रों को है। यह केवल एंट्रेंस के माध्यम से ही मिल सकता है। अगर प्रशासन मेरिट आधार पर प्रवेश करता है तो इससे एक बड़ा तबका उच्च शिक्षा से महरूम रह जाएगा। यूजी प्रथम और द्वितीय सत्र के छात्रों के प्रमोशन को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने किसी तरह का कोई फैसला नहीं लिया है, जिससे बहुत से छात्र अपने आगे के एकेडमिक फ्यूचर को लेकर परेशान हैं, इसलिए अब विश्वविद्यालय प्रशासन सभी छात्रों को प्रमोट करे। इस वर्ष की सभी प्रकार की फीस, हॉस्टल फीस आदि में छात्रों को राहत दी जाए।
1. पीजी कक्षाओं में दाखिले प्रवेश परीक्षा के आधार पर होने चाहिए।
2. यूजी पेपर चेकिंग में आ रही अनयिमितताओं को शीघ्र दूर किया जाए।
3. छात्रों से कोरोना काल में सिर्फ ट्यूशन फीस ही ली जाए।
4. यूजी के जो छात्र इंटरस्टेट परिवहन बंद होने व कोरोना संक्रमित होने या संपर्क में आने की वजह से परीक्षा नहीं दे पाए थे, पहले उनकी परीक्षा ली जाए, तभी पीजी कक्षाओं में दाखिले हों।
5. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में शिक्षक व गैर शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शीघ्र पूरी हों।
6. छात्रों से हॉस्टल निरंतरता (Hostel Continuity) फीस ना ली जाए।
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