-
Advertisement
दो महीने का प्रतिबंध हटने के बाद आज से मछली बिकने पहुंची बाजार
Last Updated on August 16, 2021 by saroj patrwal
रविंद्र चौधरी/ फतेहपुर। दो महीने का प्रतिबंध हटने के बाद आज सुबह पौंग झील से मछली (Fish) बाजार में बिकने के लिए पहुंच गई है। यानी आज से मछली खाने के शौकीन मछली का स्वाद चख पाएंगे। आज पहले दिन पौंग बांध से 10404.5 केजी (लगभाग 10टन ) मछली का उत्पादन हुआ है। पंजीकृत शिकारी मछली का शिकार कर सहकारी सभाओं में ठेकेदारों के पास यह मछली बेचते हैं, वहां से ठेकेदारों के माध्यम से यह मछली देश व प्रदेश की अलग-अलग फिश मार्केट में पहुंचती है।
ये भी पढ़ेः पुलिस के खिलाफ सड़कों पर उतरे ट्रैक्टर मालिक, खनन करते चोरी की एफआईआर दर्ज होने पर जताया विरोध
फिशरी ऑफिसर पंकज पटियाल ने बताया की कोरोना काल व बंद सीजन के बाद आज फिश मार्किट मे मछली पहुंच चुकी है। पौंग बांध की मछली स्वादिष्ट होने के कारण इसके दाम भी शिकारियों को अच्छे मिलते है । इस बार भी सिंघाड़ा फिश रिकॉर्ड तोड़ मार्केट में पहुंची है। इस बार पौंग झील में 30 लाख रुपए का मछली का बीज डाला जाएगा जबकि पूरे प्रदेश की झीलों में 65 लाख रुपए से अधिक मछली के बीज डालने का लक्ष्य रखा है।
पौंग झील से मछुआरों ने पहले दिन पकड़ी 10 टन मछली
पौंग झील में मत्स्य आखेट से प्रतिबंध हटते ही पहले दिन रिकॉर्ड तोड़ मछली सोसायटीज में पहुंची। पौंग झील में पहले ही दिन 10 टन मछली का शिकार हुआ जिसमें राहु, कतला, महाशीर, मोरी, संगाड़ा प्रजाति की मछली शामिल रही। सबसे ज्यादा मछली संगाड़ा प्रजाति की रही। मत्स्य अधिकारी पंकज पटियाल ने बताया कि पौंग झील में मत्स्य आखेट हटने के पहले ही दिन 10 टन मछली का शिकार हुआ तथा मछुआरों के चेहरों पर छाई मायूसी की लकीरें मिट गईं। उन्होंने बताया कि नन्दपुर भटोली फिशरीज सोसायटीज में 1918.5किलोग्राम मछली पहुंची जोकि समस्त सोसायटीज में सबसे ज्यादा रही। पंकज पटियाल ने बताया कि पौंग झील की मछली की काफी डिमांड रहती है। उन्होंने कहा कि शिकारी पौंग झील में अंडरसाइज जाल न लगाएं अन्यथा ऐसे मछुआरों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा।
हिमाचल और देश-दुनिया की ताजा अपडेट के लिए Subscribe करें हिमाचल अभी अभी का Telegram Channel…