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ये विवाहिता होकर भी कहलाती रही हैं कुंवारी-यहां पढ़े कौन हैं ये महिलाएं
क्या कोई विवाहिता होकर भी कुंवारी कहला सकती हैं,आपको पता है। अगर नहीं पता है तो हम आपको आज बताने जा रहे हैं कि शास्त्रों में चार स्त्रियों (Four Women) को अक्षत कुमारी माना गया है। ये हैं अहिल्या, द्रौपदी, कुंती और मंदोदरी (Mandodari)। शास्त्रों में कहा गया है कि इन चारों का स्मरण करना भी महापापों को भी खत्म करने में सक्षम हैं। इन्हें अक्षत कुमारी (Akshat Kumaris) माना गया है। श्लोक में इन पात्रों के लिए कन्या शब्द का उपयोग किया गया है, नारी शब्द का नहीं। ये चारों विवाहित थी, फिर सवाल ये उठता है कि विवाहिता होते हुए भी इन्हें कौमार्या क्यों माना गया है।
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सबसे पहले बात करते हैं अहिल्या (Ahilya) की। वह अपने पति के प्रति पूरी तरह से निष्ठावान थी और यही कारण था कि उन्हें कौमार्य (पवित्र) माना गया है। इसी तरह हस्तिनापुर के राजा पांडु की पत्नी कुंती को ऋषि दुर्वासा ने एक मंत्र दिया था। मंत्र ऐसा था कि उसके उपयोग से वह जिस भी देवता का ध्यान कर जप करेंगी, उनसे उन्हें पुत्र की प्राप्ति होगी, कुंती इस मंत्र को परखना चाहती थी। उन्होंने सूर्य का ध्यान करते हुए मंत्र का जप किया। सूर्य प्रकट हुए और उन्हें पुत्र के रूप में कर्ण की प्राप्ति हुई। कुंती (Kunti) और पांडु का विवाह स्वयंवर में हुआ था। पांडु को श्राप था कि वह अगर स्त्री को स्पर्श करेंगे तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। पांडु आए दिन इस चिंता में डूबे रहते थे कि उनकी मृत्यु के बाद कुरु वंश खत्म हो जाएगा। इसलिए कुंती ने धर्म देव से युधिष्ठिर, वासुदेव से भीम और इंद्रदेव से अर्जुन को पुत्र के रूप में पाया। यही कारण है कि अलग-अलग देवताओं से संतान प्राप्ति के बाद भी कुंती को कौमार्य ;पवित्रद्ध माना गया।
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द्रौपदी के बारे में बहुत सारे लोग जानते होंगे। पुराणों के अनुसार पांच पतियों की पत्नी बनने वाली द्रौपदी का भी व्यक्तित्व काफी मजबूत था। स्वयंवर के दौरान अर्जुन को अपना पति मानने वाली द्रौपदी (Draupadi) को सिर्फ कुंती के कहने पर पांचों भाईयों की पत्नी बनना पड़ा था। द्रौपदी ने पूरी जिंदगी पांचों पांडवों का हर परिस्थिति में साथ दिया। अपनी खुशी के विपरीत जाकर कुल और राज्य के भविष्य के लिए द्रौपदी ने पांच पांडवों की पत्नी होने का निर्णय लिया। उनके इस कर्तव्य के लिए उन्हें पवित्र माना गया। अगर बात मंदोदरी की करें तो उनके बारे में भी शास्त्रों (Scriptures) में सब कुछ साफ-साफ लिखा हुआ है। मंदोदरी के सौंदर्य को देखकर रावण (Ravana) ने उससे विवाह किया। वह बहुत बुद्धिमान थी, उन्होंने हमेशा रावण को सही-गलत के बारे में समझाया, लेकिन रावण ने मंदोदरी की कभी कोई बात नहीं मानी। मंदोदरी के इसी गुण के कारण उन्हें महान और पवित्र माना गया है। रावण की मौत के बाद जब श्रीराम ने विभीषण को मंदोदरी को आश्रय देने के लिए कहा तो वह मान गए।