-
Advertisement
एयरबोर्न ट्रांसमिशन : क्यों कमरे में ज्यादा रहता है कोरोना संक्रमण का खतरा
कोरोना को दुनिया में कहर बरपाते हुए एक साल से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन अभी भी बहुत सारी चीजें इस महामारी के बारे में पता ही नहीं हैं। इसके अलावा बहुत सारी ऐसी बातें पुरानी भी हैं जो लोगों के मन में अभी तक भी साफ नहीं है। ऐसा ही एक सवाल है हवा के जरिए भी कोरोना वायरस के फैलने का। इस इंग्लिश में एयरबोर्न ट्रांसमिशन (Airborne Transmission) कहते हैं। जब कोरोना नया-नया कहर बरपा रहा था उस समय भी कई वैज्ञानिकों ने एयरबोर्न ट्रांसमिशन की बात कही थी, लेकिन उस समय डब्ल्यूएचओ ने इसलिए इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, क्योंकि इसके पर्याप्त सबूत नहीं मिले थे।
यह भी पढ़ें: केंद्रीय मंत्री VK Singh के भाई कोरोना पॉजिटिव, इलाज के लिए नहीं मिल रहा बेड!
Lancet study:
“Airborne” does NOT mean outside air is contaminated. It means the virus may remain suspended in the air — typically in indoor settings —and pose a riskOur parks and beaches are still the safest places to enjoy without a mask (provided 6 ft distance)
— Faheem Younus, MD (@FaheemYounus) April 17, 2021
अब एक बार फिर द लैंसेट ने नए अध्ययन (The Lancet new study) में यह दावा किया है कि कोरोना हवा में भी फैलता है। इसके साथ ही इस दावे को पुख्ता करने के लिए कई सबूत भी पेश किए गए हैं। दरअसल, कोई कोरोना संक्रमित मरीज खांसें, छींकें या बोलें तो इस दौरान उसके नाक या मुंह से निकले ड्रॉपलेट्स (Droplets) के जरिए या फिर कोरोना संक्रमित सतहों को छूने से भी कोरोना फैलता है। अब द लैंसेट (The Lancet) के नए शोध में कहा गया है कि ड्रॉपलेट्स की बजाय एयरबोर्न (Airborne) यानी हवा के जरिए कोरोना (Corona) संक्रमण ज्यादा आसानी से फैलता है। इस शोध में कहा गया है कि क्वारंटाइन होटलों में एक-दूसरे से सटे कमरों में रह रहे लोग यदि एक-दूसरे के कमरे में नहीं भी जाएं तब भी कोरोना संक्रमण फैल सकता है।
LANCET STUDY: No worries. We know COVID spreads (droplet to airborne) in a spectrum
Solution: Buy two N95 or KN95 masks. Use one today; leave the other in a PAPER bag for tomorrow. Keep alternating every 24 hours. Reuse for weeks if they aren’t damaged
Ditch cloth masks
— Faheem Younus, MD (@FaheemYounus) April 17, 2021
इस बारे में मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉ. फहीम यूनुस (Faheem Younus) ने भी एक ट्विट किया है। डॉ. फहीम यूनुस का कहना है कि एयरबोर्न का मतलब यह कतई नहीं है कि बाहर की हवा कोरोना से दूषित हो चुकी है। दरअसल, इसका मतलब है कि कोरोना वायरस (Corona Virus) हवा में मौजूद हो सकता है। खासकर इनडोर (बंद कमरे) माहौल में। इसलिए यह खतरा पैदा कर सकता है।
इसका असल कारण यह है कि किसी बंद कमरे (Room) में हवा का बहाव नहीं होता जैसा कि खुले वातावरण में होता है। इंडोर में हवा (Air) स्थिर रहती है और इसी वजह से दूषित हो जाती है। इस वजह से अन्य लोग भी संक्रमित हो जाते हैं। इसलिए विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पताल (Hospital), होटल के वातावरण में भले ही संक्रमण (Infection) के फैलने की संभावना हो, लेकिन खुली या ताजी हवा में ऐसा नहीं होता है। हालांकि विशेषज्ञों का के मुताबिक यह बात भी स्पष्ट रूप से कहने के लिए अभी और शोध की जरूरत है।