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नई दिल्ली। देश में जारी कोरोना वायरस (Coronavirus) के कहर के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शुक्रवार को प्रवासी मजदूरों के मसले पर सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि हम जो करना चाहते हैं, वह आपको बताएंगे। हम सभी प्रवासियों को घर पहुंचाने के लिए 15 दिन का समय देंगे। सभी राज्यों को रिकॉर्ड पर लाना है कि वे कैसे रोजगार और अन्य प्रकार की राहत प्रदान करेंगे। प्रवासियों का पंजीकरण होना चाहिए।
SC ने जब पूछा कि अभी कितने मजदूर (Migrant Labourer) फंसे हुए हैं तो केंद्र के वकील ने कोई आंकड़ा नहीं दिया। अदालत ने कहा कि यह सब बहुत वक्त से चल रहा है। हम 15 दिन का समय दे सकते हैं कि राज्य ट्रेनों की अपनी डिमांड पूरा सकें। याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अभी तक करीब 1 करोड़ मजदूरों को घर पहुंचाया गया है। सड़क मार्ग से 41 लाख और ट्रेन से 57 लाख प्रवासियों को घर पहुंचाया गया है। मेहता ने आगे बताया कि अभी तक 4,270 श्रमिक ट्रेनों का संचालन हुआ है। हम राज्य सरकारों के संपर्क में हैं। केवल राज्य सरकारें इस अदालत को बता सकती है कि कितने प्रवासियों को अभी घर पहुंचाया जाना है और कितनी ट्रेनों की आवश्यकता होगी।
मजदूरों को घर वापस भेजने पर महाराष्ट्र ने बताया कि लगभग 11 लाख मजदूरों को हम वापस भेजा जा चुके हैं। 38,000 को भेजना बाकी है। गुजरात ने कहा- 22 लाख में से 20.5 लाख लोगों को वापस भेजा गया। वहीं दिल्ली सरकार ने कहा कि 2 लाख लोग ऐसे हैं जो यहीं रहना चाहते हैं। सिर्फ 10 हजार अपने राज्य लौटने की इच्छा जता रहे हैं। यूपी की तरफ से कहा गया कि हम लोगों से किराया नहीं ले रहे। 104 ट्रेन चलाई गई। 1.35 लाख लोगों को अलग-अलग साधन से वापस भेजा। राज्यों की बात सुनने के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी राज्य गांव और प्रखंड के स्तर पर अपने यहां वापस लौटे मजदूरों का रजिस्ट्रेशन करें। उन्हें रोजगार देने की व्यवस्था करें। उनकी परेशानी दूर करने के लिए काउंसिलिंग भी करें।
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