-
Advertisement
![antibiotics-ineffective-in-many-diseases-says-icmr-report](https://himachalabhiabhi.com/wp-content/uploads/2023/09/antibiotics-ineffective-in-.jpg)
कई बीमारियों में बेअसर हो रही हैं एंटीबायोटिक दवाएं, ICMR की रिपोर्ट
नई दिल्ली। एंटीवायरल और एंटीफंगल संक्रमण (Antiviral And Anti Fungal Infections) को रोकने के लिए दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवाएं अब बेअसर साबित हो रही हैं। यह खुलासा ICMR की नई रिपोर्ट (New Report Of ICMR) में सामने आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निमोनिया और सेप्सिस जैसी बीमरियों में दवा का कोई असर नहीं हो रहा है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने 1 जनवरी से 31 दिसंबर, 2022 के बीच देश भर के 21 अस्पतालों से डेटा एकत्र किया है। जिसमें मुंबई के सायन में बीएमसी की ओर से संचालित एलटीएमजी अस्पताल और माहिम में हिंदुजा अस्पताल भी शामिल है। अस्पताल में होने वाले संक्रमणों का विश्लेषण करने के लिए आईसीयू रोगियों से लगभग 1 लाख कल्चर आइसोलेट्स का अध्ययन किया गया, जिसमें 1,747 पैथोजन पाए गए, जिनमें सबसे आम बैक्टीरिया ईकोली था, उसके बाद एक अन्य बैक्टीरिया क्लेबसिएला निमोनिया था।
पांच साल में 50 फीसदी बढ़ी दवा प्रतिरोधकता
आईसीएमआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में दवा प्रतिरोधी ई-कोली संक्रमण (Drug Resistant E-Coli Infection) वाले 10 में से 8 मरीज कार्बापेनम से ठीक हो गए थे, लेकिन 2022 में केवल 6 मरीज ही ठीक हो पाए। बैक्टीरिया क्लेबसिएला निमोनिया के दवा प्रतिरोधी अवतार के कारण होने वाले संक्रमणों के साथ यह और भी बुरा है। 10 में से 6 मरीजों को यह दवा मददगार लगी थी, लेकिन 2022 में केवल 4 मरीजों को ही इससे मदद मिल सकी। 2022 की रिपोर्ट में भारत में व्यापक एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के बीच कुछ उत्साहजनक रिजल्ट भी हैं। उन्होंने कहा कि हमें यह कहते हुए खुशी हो रही है कि पिछले 5 से 6 वर्षों में प्रमुख सुपरबग के प्रतिरोध पैटर्न नहीं बदले हैं, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि हम कोई गिरावट नहीं देख रहे हैं।
यह भी पढ़े:टांडा मेडिकल कालेज में हार्ट सर्जरी की सुविधा 25 सितंबर से
डॉक्टरों की गलती सबसे बड़ी
डॉक्टरों का कहना है कि व्यापक-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक (Wide Spectrum Antibiotics) दवाओं का अंधाधुंध उपयोग और नुस्खा सबसे बड़ा गुनहगार है। पश्चिम में, 10% और 20% के बीच प्रतिरोध स्तर को चिंताजनक माना जाता है, लेकिन भारत में डॉक्टर 60% प्रतिरोध की रिपोर्ट होने पर भी दवा लिख देते हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को पर्चे को और अधिक गंभीरता से लेना चाहिए।