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अब नहीं ले पाएंगे बहाना बनाकर छुट्टियां, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बताएगी बीमार हैं या नहीं
Last Updated on April 12, 2023 by sintu kumar
बीमारी के नाम पर अवकाश लेने वालों की हकीकत पता करना आसान नहीं होता और घर से लेकर ऑफिस में बीमारी के नाम पर लोग जमकर लीव लेते हैं। लेकिन अब कम से कम इतनी राहत जरूर मिल सकती है कि सर्दी जुकाम के नाम पर लीव लेने वालों का पता लगाया जा सकता है कि इस व्यक्ति को सही में सर्दी-जुकाम है भी या फिर लीव लेने के लिए झूठ बोला जा रहा है। ये सब संभव होने जा रहा है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस( Artifical Intelligence) के जरिए।
ऐसे टूल पर काम किया जा रहा है जो आपकी आवाज से सब कुछ सच बता देगा।
वैसे तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को आने वाले समय में इंसान के लिए एक बहुत ही अहम टूल माना जा रहा है। फिर ओपन एआई ने जब से अपना चैटबॉट चैट जीपीटी लाइव किया है तब से लेकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लगातार चर्चा में है। अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े कई तरह के प्रोडक्ट और सर्विसेस पर काम किया जा रहा है। कई कंपनियों ने चैट जीपीटी जैसा चैटबॉट अपने.अपने प्रोडक्ट और सर्विस में देना शुरू कर दिया है। लेकिन अब एक ऐसे टूल पर काम किया जा रहा है जो आपकी आवाज से सब कुछ सच बता देगा।
630 लोगों के वॉइस पैटर्न की स्टडी की
बिजनेस इंसाइडर की एक रिपोर्ट बता रही है कि सरदार वल्लभभाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सूरत ( Sardar Vallabhbhai National Institute of Technology Surat) में कुछ रिसर्चर्स ने 630 लोगों के वॉइस पैटर्न की स्टडी की। इस स्टडी में ये सभी 630 वो लोग थे जो खुद को बीमार बता रहे थे लेकिन जब स्टडी पूरी हुई तो 111 लोगों में ही सर्दी जुकाम पाया गया। बाकी लोगों को कोई प्राब्लम नहीं थी बल्कि पूरी तरह से ठीक थे। इस स्टडी में सर्दी जुकाम का पता लगाने के लिए इन लोगों का वोकल पैटर्न एनेलाइज किया गया। स्टडी में हार्मोनिक्स यानी वोकल रिदम का यूज हुआ। असल में जब व्यक्ति की फ्रीक्वेंसी बढ़ती है तो हार्मोनिक्स एंप्लीट्यूड को कम कर देता है। ऐसी हालत में जो इंसान सर्दी जुकाम से पीड़ित हो उसका वोकल पैटर्न इर्रेगुलर रहता है। इसी फेनोमेना पर भरोसा करते हुए रिसर्चर्स ने मशीन लर्निंग एल्गोरिथम की मदद से लोगों में सर्दी जुकाम को टेस्ट किया। इस टेस्ट में शामिल लोगों से एक से लेकर 40 तक काउंटिंग और फिर वीकेंड को डिस्क्राइब करने के लिए कहा गया। लोगों से द नॉर्थ विंड एंड द सन्स कथा सुनाने के लिए भी कहा गया। स्टडी में करीब 70 की एक्यूरेसी पाई गई। स्टडी का मकसद सिर्फ ये था कि लोगों में सर्दी जुकाम का पता बिना डॉक्टर के पास जाए लगाया जा सके। बिजनेस इंसाइडर की रिपोर्ट ये भी बताती है कि ये स्टडी बिजनेस ओनर्स को काफी पसंद आ सकती है क्योंकि बीमारी का बहाना करके छुट्टियां लेने वाले आइडेंटिफाई कर्मचारियों पर ये तकनीक काम में लाई जा सकती है।
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