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फिल्मी जगत में ऑडिशन देना नहीं था आसान, निर्देशक के सामने साड़ी बदलती थीं मॉडल्स
आज का दौर पहले के दौर से काफी अलग है। अब समय पूरी तरह से बदल चुका है। समय के साथ-साथ फिल्म जगत ने भी खुद को पूरी तरह से बदल लिया है। हालांकि, पहले फिल्म जगत में ऑडिशन (Audition) में पास होना बहुत कठिन काम था। सिनेमा के प्रेमी फिल्म जगत से जुड़ी चीजों के बारे में जानना चाहते हैं कि वहां कैसे ऑडिशन होते हैं, फिल्मों में काम कैसे मिलता है। आज हम आपको फिल्म जगत के इतिहास के बारे में बताएंगे और कुछ तस्वीरें भी दिखाएंगे।
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बता दें कि 1951 के दौर में मॉडल्स के लिए फिल्मों में जगह बनाना बहुत मुश्किल था। इन मॉडल्स को अलग-अलग तरह के ऑडिशन से गुजरना पड़ता था। गौरतलब है कि आज के दौर में ऑडिशन लेने के लिए एक कास्टिंग टीम होती है और ऑडिशन के कई राउंड होते हैं। वहीं, 1951 के दौर में निर्देशक खुद ही मॉडल्स का ऑडिशन लेते थे। आज हम आपको 1951 में हुए ऑडिशन की कुछ तस्वीरें बताएंगे। ये तस्वीरें जेम्स बुर्के ने क्लिक की थी, जो कि एक जानी-मानी मैगजीन में भी पब्लिश हुई थी। इन तस्वीरों में फिल्म जगत के जाने-माने निर्देशक अब्दुल राशिद करदार लड़कियों का स्क्रीन टेस्ट लेते हुए नजर आ रहे हैं।
उस दौर में फिल्मों में भूमिका पाना बिलकुल आसान नहीं होता था। अभिनेत्रियों को ऑडिशन के साथ-साथ निर्देशक के कई अन्य सवालों का सामना करना पड़ता था। मॉडल व अभिनेत्री को अपनी फिल्म की हीरोइन चुनने के लिए निर्देशक बहुत ही बारीकी से हर चीज को देखते थे। तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि उनके बालों से लेकर बाकी चीजों के लिए निर्देशक मॉडल से किस तरह से बात कर रहे हैं।
इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि उस दौर में मॉडल्स तैयार होकर नहीं आती थीं, बल्कि वो निर्देशक के सामने ही साड़ी बदलती थीं। इतना ही नहीं लड़कियों के अभिनय के साथ-साथ उनकी पूरी लुक को भी चेक किया जाता था। साड़ी के बाद वेस्टर्न ड्रेस में भी इन मॉडल्स को पूरे आत्मविश्वास के साथ निर्देशक के सामने खड़ा होना पड़ता था।
उस समय जब भी किसी मॉडल या अभिनेत्री को फिल्म में रोल के लिए कास्ट किया जाता था तो उसमें निर्देशक उनकी हर तरह की भूमिका निभाने की क्षमता और कोई भी चुनौती का सामना करने के लिए आत्मविश्वास हो इस बात का खास ख्याल रखते थे।
इतना ही नहीं उस समय कई लड़कियों के ऑडिशन एक साथ होते थे, जिसमें से निर्देशक फिर किसी एक को अभिनेत्री की भूमिका के लिए चुनते थे। वहीं, ऑडिशन के लिए पहुंची लड़कियों को निर्देशक के पैरामीटर पर खरे उतरना पड़ता था। इसके लिए उन्हें निर्देशक के हिसाब से ऑडिशन देना पड़ता था।
इन मॉडल्स को हर लुक में ऑडिशन देना पड़ता था। फिल्म में रोल पाने के लिए लड़कियों को कई पड़ाव पार करने पड़ते थे। उस समय निर्देशक इन मॉडल्स की छोटी से छोटी चीज नोटिस करते थे।