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सीखों इस निशा से- कोरोना की परछाई से कैसे रहती है दूर-Video स्टोरी देख समझ जाएंगे आप
कोरोना का दौर है। हर किसी को आपदा में अवसर की तलाश है। जिन लोगों को पास जमीन है और जो खेती से जुड़े हैं, वो इससे अच्छी आय अर्जित सकते हैं। बस ये जान लें कि सरकार की वो कौन सी योजनाएं हैं जो आप के लिए मददगार साबित हो सकती है। कुल्लू शहर से सटे बदाह गांव की निशा (Nisha of Badah village in Kullu) ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है। निशा देवी के पास ब्यास नदी के दाएं छोर पर लगभग पांच बीघा जमीन है। जमीन के इसी भू-भाग को उसने अपने परिवार की आजीविका का साधन बना लिया है। सात सदस्यों वाले परिवार का भरण-पोषण इसी जमीन से हो रहा है। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकी। उसके पति भी ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है। वह दिन-रात खेतों में काम करती है। परिवार के अन्य सदस्य भी खेती-बाड़ी में उसका सहयोग करते हैं। निशा का मानना है कि उसका परिवार दिन भर खेतों में काम करता है और सायंकाल अपने घर जाते हैं। इससे वे कोरोना महामारी के खतरे से भी दूर हैं।
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निशा बताती है कि कुछ साल पहले तक वह केवल गेहूं और मक्की की फसल उगा रही थी। इससे साल भर का राशन तो पूरा हो जाता था लेकिन अन्य जरूरत की चीजें खरीदने के लिए उसके पास पैसे नहीं होते थे। साथ सटे खेतों में लहसुन की अच्छी पैदावार देखकर निशा के मन में भी लहसुन की खेती करने की इच्छा जागृत हुई। पहले साल उसने थोड़ा से लहसुन का बीज खरीदा और जमीन के एक छोटे हिस्से में लगा दिया। दूसरे साल अब निशा के पास अपनी पूरी जमीन के लिए पर्याप्त बीज था। उसने पांच बीघा जमीन में लहसुन लगाया (Cultivate Garlic) और दिन-रात मेहनत की। पिछले साल निशा ने लगभग दो लाख की कमाई लहसुन से की। निशा ने बताया कि वह अपनी पांच बीघा जमीन में हर सीजन में 25 से 30 क्विंटल तक लहसुन की पैदावार कर रही है। स्थानीय सब्जी मंडी में लहसुन के अच्छे दाम मिल जाते हैं। निशा ने खेतों के किनारों पर नाशपाती, पलम व खुर्मानी के फलदार पौधे भी तैयार कर लिए हैं जो उसकी अतिरिक्त आय का जरिया बन रहे हैं।
निशा के तीन बच्चे हैं। प्रांजल नौंवी कक्षा व श्रद्धा छठी मे पढ़ती है। शिवांश अभी छोटा है। वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करना चाहती है। उसका कहना है कि अब लहसुन की खेती से इतनी आय हो जाती है कि वह बच्चों को कानवेन्ट स्कूल में पढ़ा सकती है। कृषि उपनिदेशक पंजबीर सिंह का कहना है कि कुल्लू जिला में लगभग 950 हेक्टेयर भूमि में लहसुन की खेती की जाती है जिसमें 19680 मीट्रिक टन से अधिक की पैदावार होती है। जिला में लहसुन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु है और यहां की मिट्टी भी इसके अनुकूल है। किसानों को लहसुन की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है जिससे उनकी (Economy) आर्थिकी को संबल मिला है।