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ऊना के गांव घंडावल में बना बैंबू विलेज, लोगों की आजीविका से जुड़ा बांस
Last Updated on January 8, 2024 by Soumitra Roy
सुनैना जसवाल/ ऊना। बांस ऐसा गौण वनोपज है, जिसे लोगों की आजीविका (Livelihood) से जोड़कर आय के साधनों को कई तरीके से बढ़ाया जा सकता है। अब ऊना के डीसी राघव शर्मा ने सोमवार को इसे एक अभियान (Campaign) की शक्ल देकर चंडीगढ़-धर्मशाला हाईवे पर घंडावल में बैंबू विलेज (Bamboo Village) की स्थापना की। इस मौके पर भारत के बंबू मैन के नाम से प्रसिद्ध महाराष्ट्र के योगेश शिंदे भी विशेष रूप से मौजूद थे।
कार्यक्रम में उद्योग विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ महिलाओं की संस्था स्वां वूमेन फेडरेशन ने भी भाग लिया। डीसी ने बांस के उत्पाद तैयार करने वाले यूनिट (Unit) का लोकार्पण किया। इसके साथ ही उन्होंने बैंबू विलेज में एक नर्सरी (Nursery) भी स्टार्ट की है। बांस के उत्पाद तैयार करने के लिए जिला प्रशासन ने कई स्वयं सहायता समूहों (SHG) को विशेष प्रशिक्षण दिया है।
नर्सरी में लगी यूनिट
2 साल पहले शुरू किए गए इस प्रयास में बांस की नर्सरी में विभिन्न प्रजाति के पौधे उपलब्ध होंगे, नर्सरी के साथ ही बांस के उत्पाद तैयार करने की यूनिट को भी शुरू किया जा रहा है। नर्सरी में बांस की विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपे गए हैं। बांस के उत्पादों का बिक्री केंद्र भी इससे लगा हुआ है। डीसी राघव शर्मा ने कहा कि एक तरफ जहां बैंबू कल्टीवेशन (Bamboo Cultivation) रोजगार का साधन बनेगा, वहीं बैंबू के कई उत्पाद तैयार करने के लिए भी स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
ऊना की मिट्टी बांस के लिए उपयोगी
योगेश शिंदे ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाके की मिट्टी बैंबू की कई प्रजातियों का कल्टीवेशन करने के लिए बेहद उपयोगी है। बांस की स्थानीय नस्ल कई उत्पादों में प्रयोग होने के लिए माकूल पाई गई है। उन्होंने कहा कि बैंबू इंडस्ट्री (Bamboo Industry) शुरू होने से स्थानीय स्तर पर कई लोगों को रोजगार और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इसमें विशेष रूप से महिला शक्ति इस कारोबार से जुड़कर स्वावलंबी बन सकती है।