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कभी Aishwarya -सुष्मिता को दी थी टक्कर,अब Dalai Lama की आजीवन अनुयायी बन गुजार रही है जिंदगी
Barkha Madan : आप सोच सकते है की कभी ऐश्वर्या राय (Aishwarya Rai) को टक्कर देने वाली हसीना ने ना फिल्मी दुनिया से मुंह मोड़ा बल्कि पहाड़ों में आकर अध्यात्म की राह चुन ली। यानी शोरगुल से दूर अब ये हसीना सब कुछ त्याग कर सन्यासी वाला जीवन जी रही है। बॉलीवुड (Bollywood) में स्टारडम हासिल करने के बाद सब छोड़कर अलग दुनिया बसा लेना इतना आसान नहीं है, लेकिन हम जिस एक्ट्रेस के बारे में बात कर रहे हैं,उन्होंने ऐसा कर दिखाया है। आपको पता है बॉलीवुड में हसीनाएं (Actress) एक ग्लैमरस लाइफ जीती हैं। पर्दे के पीछे की दुनिया भी उनकी लग्जरी और ग्लैमरस लाइफस्टाइल से भरी रहती है। ऐसे में हीरोइन आसानी से अपने इस लाइफस्टाइल को छोड़ नहीं पाती, लेकिन इस एक्ट्रेस ने तो शोबिज की दुनिया भी छोड़कर एक अलग राह चुन ली, जिसके बारे में सोच पाना भी मुश्किल है। चलिए आपको इनसे परिचित कराते हैं
2003 में फिल्म भूत से छोड़ी थी अमिट छाप
वो शख्सियत हैं (Barkha Madan) बरखा मदान, जो एक पूर्व मॉडल, ब्यूटी क्वीन और अभिनेत्री हैं, जिन्होंने बौद्ध भिक्षु बनने के लिए अपना अभिनय करियर छोड़ दिया और अब उन्हें ग्यालटेन समतेन के नाम से जाना जाता है। मॉडलिंग में बड़ा नाम रखने वाली बरखा ने 1994 में मिस इंडिया सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था, जहां उन्होंने सुष्मिता सेन (Sushmita Sen)और ऐश्वर्या राय के साथ कंपीट किया था। ये दोनों हसीनाएं विनर और रनर अप रही थीं। बरखा को मिस टूरिज्म इंडिया का खिताब मिला था और मलेशिया में मिस टूरिज्म इंटरनेशनल प्रतियोगिता में वह तीसरी रनर.अप रहीं थी। बरखा मदान ने वर्ष 1996 में एक्शन फिल्म खिलाड़ियों का खिलाड़ी से बॉलीवुड में एंट्री मारी थी, जिसमें अक्षय कुमार, रेखा और रवीना टंडन मुख्य भूमिकाओं में थे। यह फिल्म एक बड़ी हिट साबित हुई, लेकिन बरखा को 2003 में राम गोपाल वर्मा की फिल्म भूत (Bhoot) में अपनी अगली महत्वपूर्ण भूमिका पाने में सात साल लग गए। उन्होंने सुपरनैचुरल हॉरर फिल्म में भूत मंजीत खोसला के अपने खौफनाक किरदार से आलोचकों और दर्शकों दोनों पर एक अमिट छाप छोड़ी। बरखा फिल्म के स्टार-स्टडी कलाकारों में सबसे अलग दिखीं, जिसमें अजय देवगन, उर्मिला मातोंडकर, नाना पाटेकर, रेखा, फरदीन खान और तनुजा शामिल थे।
दो फिल्मों का निर्माण भी किया
बरखा इस बीच कई टीवी धारावाहिकों में दिखाई दीं, जिनमें सामाजिक नाटक न्याय और ऐतिहासिक श्रृंखला 1857 क्रांति शामिल हैं, जहां उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई का किरदार निभाया था। भूत के बाद, जब उन्हें मनचाही भूमिकाएं नहीं मिलीं तो वह टेलीविजन पर लौट आईं। वर्ष 2005 से 2009 तक वह लोकप्रिय जी टीवी शो सात फेरे . सलोनी का सफर का हिस्सा थी, जिसमें राजश्री ठाकुर और शरद केलकर मुख्य भूमिकाओं में थे। 2010 में बरखा ने एक निर्माता बनने का फैसला किया और प्रतिभाशाली स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं का समर्थन करने के लिए गोल्डन गेट एलएलसी की स्थापना की। उन्होंने दो फिल्मों, सोच लो और सुर्खाब का निर्माण और अभिनय किया। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा (Dalai Lama) की आजीवन अनुयायी बन चुकी बरखा ने वर्ष 2012 में बौद्ध धर्म अपनाने का फैसला किया। बरखा बीत रहे 13 वर्षों से एक बौद्ध सन्यासी का जीवन गुजार रही हैं। उनका ज्यादा वक्त (Himachal) हिमाचल व लद्दाख में बीतता है।
-राहुल कुमार