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मोदी मैजिक के सहारे बीजेपी-विधायकों की बलि चढ़ाना गले की फांस तो नहीं!
हिमाचल में सत्ता के लिए चुनावी मैदान सज चुका है। इस पहाड़ी राज्य में पिछले तीन दशक से भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) और कांग्रेस बीच सत्ता का खेल चल रहा है। हालांकि, इस बार बीजेपी यह चक्र तोड़ने के लिए रिवाज बदलने का नारा दिए हुए है। बावजूद इसके जयराम सरकार चुनावी मुद्दों से ज्यादा पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर भरोसा करती नजर आ रही है। भगवां पार्टी ने कैंडिडेट तय करने की प्रक्रिया के दौरान 11 मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए हैं। कहा जा रहा है कि सत्ता विरोधी लहर से निपटने के लिए पार्टी ने ऐसा किया। जो कहीं ना कहीं भगवां पार्टी के गले की फांस बन गए है। पार्टी प्रदेश सरकार से जुड़े कई मुद्दों पर चुनौतियों का सामना कर रही है। भगवां पार्टी पर खराब शासन (Poor Governance) के आरोप लग रहे हैं। सीएम कार्यालय में बीते पांच वर्षों में 6 मुख्य सचिव बदले जा चुके हैं।
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हिमाचल में चुनावी माहौल बनते ही पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) लगातार राज्य के दौरे कर रहे हैं। वह, अक्टूबर में दो बार राज्य में पहुंचे और कई विकास योजनाओं का ऐलान किया। पीएम भी डबल इंजन सरकार की जरूरत की बात कहते रहे हैं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP President JP Nadda) को लगातार हिमाचल में कैंप करना पड रहा है। सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) भी अपनी जनसभाओं में मुख्यमंत्री गृहिणी योजना, (Mukhyamantri Swavalamban Yojan) मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना, मुख्यमंत्री शगुन योजना, नारी को नमन योजना के बारे में जोर देकर बात कर रहे हैं।
दूसरी तरफ कांग्रेस (Congress) ने सितंबर में ही घोषणापत्र जारी कर दिया था। इसकी 10 चुनावी गारंटी में मुफ्त बिजली, 18.60 आयु वर्ग की महिलाओं को 1500 रुपए का भत्ता, पुरानी पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) की बहाली, 2 रुपए प्रति किलो गाय के गोबर की खरीदी की बात शामिल थी। आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) भी हिमाचल में सत्ता में आने पर पुरानी पेंशन योजना की बहाली की बात कर रही है। बीजेपी इस बात को लेकर भी परेशान है कि रिवाज बदलने की बात तो कर रही है लेकिन वर्ष 2017 के आंकड़ों को देखकर डर रही है। वर्ष 2017 में बीजेपी सत्ता में तो आई थी लेकिन कई सीटों पर करीबी मुकाबला रहा था। आंकड़े बताते हैं कि 68 में से 20 सीटों पर जीत का अंतर 3000 हजार वोट से भी कम था। जबकि, छह सीटें ऐसी थी, जहां जीत का अंतर एक हजार मतों से कम था। ऐसे में इस मर्तबा तो बीजेपी को प्रदेश में एंटी इंकम्बेंसी (Anti-Incumbency) का भी सामना करना होगा। इसलिए ही बीजेपी इस पहाड़ी राज्य में मोदी मैजिक (Modi magic) पर ज्यादा विश्वास कर रही है।