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इस तरह राजनीतिक दलों का पीछे हटना बढ़ा देगा बीजेपी की मुश्किलें
बीजेपी से पहले शिवसेना फिर पंजाब में शिरोमणि अकालीदल (Shiromani Akali Dal) और अब नीतीश कुमार (Nitish Kumar) जेडीयू ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया है। बीजेपी से अब राजनीतिक दलों का मोह भंग होने लगा है तो कहीं ना कहीं कोई गड़बड़ तो है। नीतीश कुमार ने बीजेपी को करारा झटका दिया है। वहीं वर्ष 2019 में तेलगू देशम पार्टी (Telugu Desam Party) ने भी बीजेपी का साथ छोड़ दिया था।
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अब बीजेपी की मुश्किलें लगातार बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। चूंकि अब जेडीयू बीजेपी का हिस्सा नहीं है तो इस दशा में बीजेपी को कोई भी बिल पास करवाने के लिए राज्यसभा में ओडिशा की बीजू जनता दल और आंध्रप्रदेश की वाईएसआरपी (YSRP of Andhra Pradesh) पर अधिक डिपेंड रहना होगा। इसका कारण यह है कि वर्तमान में राज्यसभा में 237 सदस्य हैं। इधर आठ जगह खाली चल रही हैं। इनमें से चार जम्मू-कश्मीर और तीन कोत्रिपुरा से नामांकित किया जाना है। बहुमत का आंकड़ा 119 है। फिलहाल एनडीए के पास 115 मेंबर ही हैं। इनमें से भी पांच नामांकित और एक निर्दलीय है। जेडीयू के किनारा करने से अब एनडीए का आंकड़ा अब गिर कर 110 रह गया है। यह आंकड़ा बहुमत से 9 कम है।
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ऐसे में बीजेपी की(BJP) मुश्किलें अब बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। दूसरा प्रश्न यह भी है कि केंद्र में सताधीन पार्टी से इस प्रकार राजनीतिक दलों का छोड़कर जाना यह भी मैसेज देता है कि कहीं इन दलों को खत्म करने की कोशिशें तो नहीं हो रही थीं जिसके लिए इन्होंने किनारा कर लिया है। यही कारण है कि अब बीजेपी को कोई भी महत्वपूर्ण बिल पास करवाने के लिए दूसरे दलों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। इन राजनीतिक दलों के पास 9-9 सांसद हैं। अभी हुए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के इलेक्शन में बीजेपी को शिअद, समाजवादी पार्टी, टीडीपी (T DP), वाईएसआरसी और बीजेडी का समर्थन मिल गया था।