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यहां शादी के बाद लड़कियां नहीं लड़के रहते हैं ससुराल में, कहलाता है “दामादों का गांव”
Last Updated on September 10, 2020 by
हमने बचपन से यही सुना है ये रीत है कि लड़कियां शादी करके ससुराल जाती हैं, लेकिन क्या आपने कभी ये सुना है कि कहीं ऐसी परंपरा हो कि लड़के को शादी करके ससुराल में रहना पड़ता हो। हमारे देश में एक गांव भी है, जहां शादी (Marriage) के बाद लड़कियां ससुराल नहीं जाती बल्कि दामाद ही लड़की के घर आकर रहते हैं। उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में स्थित इस गांव का नाम हिंगुलपुर है। हिंगुलपुर को दामादों का पुरवा यानी दामादों के गांव के तौर पर भी जाना जाता है।
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ऐसा भी समय था जब हिंगुलपुर गांव (Hingulpur village) कन्या भ्रूण हत्या और दहेज हत्या में बहुत आगे था, लेकिन आज के समय में इस गांव ने अपने बेटियों को बचाने के लिए अनूठा तरीका अपनाया है। दशकों पहले गांव के बुजुर्गों ने लड़कियों को शादी के बाद मायके में ही रखने का फैसला किया। गांव का मुस्लिम समुदाय भी इस तरीके को अपना लिया है। हिंगुलपुर गांव की लड़कियों रिश्ते की बात में ये एक अहम शर्त होती है। गांव में रहने आ रहे दामाद को रोजगार की भी दिक्कत ना हो, इसका बंदोबस्त भी गांव के लोग मिलकर करते हैं। हिंगुलपुर गांव में आसपास के जिलों जैसे कानपुर, फतेहपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद और बांदा के दामाद रह रहे हैं। इस गांव की विवाहिताओं ने अपने पतियों के साथ घर-गृहस्थी बसा ली है। इतना ही नहीं यहां एक ही घर में दामादों की पीढ़ियां बसी हुई हैं।
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हालांकि भारत (India) में हिंगुलपुर केवल ऐसा अकेला गांव नहीं है। मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिला मुख्यालय के पास भी ऐसा ही एक गांव है, जहां दामाद आकर रहने लगते हैं। यहां का बीतली नामक गांव जमाइयों के गांव के नाम से मशहूर है। शादी के बाद भी लड़कियों को अपने साथ रखने के पीछे एक बड़ी वजह ये भी है कि बेटी की शादी कहीं दूर करने पर दूसरे परिवार के बारे में सारी जानकारी नहीं मिल पाती है। कई बार आधी-अधूरी जानकारी पर ही रिश्ता जोड़ दिया जाता है, जिसके वजह से दोनों ही पक्ष परेशान होते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए इन इलाकों में बेटी के साथ दामाद को घर बसाने का रिवाज चलन में है।