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CAG की रिपोर्ट में बड़ा घपला; हिमाचल सरकार ने केंद्र से बोला झूठ, गुमराह किया
शिमला। केंद्र सरकार के महालेखाकार नियंत्रक (CAG) ने परियोजनाओं के लिए भारत सरकार से मिली राशि में हिमाचल प्रदेश सरकार के हिस्से में बड़े घोटाले को उजागर किया है। CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2008 में सोलन जिले के क्यारीघाट में एक प्रोजेक्ट के लिए मिले 1.60 करोड़ के फंड को खर्च न करने पर भी 2013 में केंद्र को गलत यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट (Utilization Certificate) दिया गया।
वहीं 2017 में सोलन (Solan) के समग्र विकास के लिए आए फंड में से 1.28 करोड़ रुपए क्यारीघाट प्रोजेक्ट के लिए ट्रांसफर किए गए और केंद्र सरकार को कह दिया गया कि फंड खर्च किया जा चुका है। यानी हिमाचल सरकार ने केंद्र को पहले तो झूठा यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट दिया और फिर गुमराह करने की कोशिश की। यह कोशिश इसलिए की गई, ताकि कहीं फंड लैप्स न हो जाए।
पर्यटन निगम को मिला था फंड
हिमाचल प्रदेश सरकार को साल 2008 में जिला सोलन के क्यारीघाट में एक परियोजना के लिए 1.60 करोड़ रुपए मिले थे। इसमें 1.28 करोड़ रुपए हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम के हिस्से में आए। यह पैसा इसलिए खर्च नहीं हो सका, क्योंकि जमीन उपलब्ध नहीं थी। फिर भी हिमाचल सरकार ने जनवरी 2013 में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय को गलत यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट थमा दिए।
इस तरह पकड़ाया घोटाला
साल 2017 में स्वदेश दर्शन स्कीम के तहत क्यारीघाट में कन्वेंशन सेंटर के लिए 25 करोड़ रुपए मिले। हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम ने सोलन के समग्र विकास प्लान के लिए आए फंड में से 1.28 लाख रुपए क्यारीघाट प्रोजेक्ट में एडिशनल फंड के तौर पर ट्रांसफर कर दिए। ऐसा इसलिए किया गया, ताकि 2008 में मिले फंड और उसके लिए दिए गए गलत यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट के मामले को छिपाया जा सके और फंड लैप्स होने से बच जाए।
सियासी भूचाल ला सकता है घोटाला
असल में हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम का यह झूठ केंद्र सरकार ने पहले ही पकड़ लिया था। बीते सितंबर में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने इस मामले को राज्य सरकार के सामने लाने का भी निश्चय किया था। अब CAG ने इस मामले में बड़े घोटाले को उजागर किया है, जिससे आने वाले दिनों में सियासी भूचाल पैदा हो सकता है।