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मॉब लिंचिंग पर फांसी की सजा देने की तैयारी में केंद्र, बदलेंगे ये 3 कानून
नई दिल्ली। भारतीय न्याय संहिता में मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) के खिलाफ केंद्र की मोदी सरकार सख्त कानून लाने पर विचार कर रही है। ऐसी घटनाओं के दोषियों पर हत्या (Murder Charges) जैसी धाराएं लग सकती हैं। संसदीय समिति (Parliamentary Committee ) जाति एवं संप्रदाय के आधार पर मॉब लिंचिंग करने वालों को कड़ी सजा दिलाने की सोच रही है। अब तक मॉब लिंचिंग के मामले में 7 साल तक की सजा का प्रावधान रहा है, जिसे बदलकर फांसी और उम्रकैद तक करने का प्रावधान रखा जा सकता है।
गृह मंत्रालय की समिति यह सिफारिश करने पर विचार कर रही है कि ऐसी कोई भी मॉब लिंचिंग हो तो उसमें शामिल लोगों पर हत्या का ही केस चले। इसके अलावा उन्हें हत्या के मामलों में मिलने वाली उम्रकैद (Life Term) और फांसी जैसी सजाओं का ही प्रावधान हो। स्टैंडिंग कमेटी में इस पर गंभीरता से विचार हो रहा है।
धारा 377 को बरकरार रखने पर विचार
इसके अलावा एक सिफारिश यह भी हो सकती है कि धारा 377 को बरकरार रखा जाए। पहले इसके तहत समलैंगिक और अप्राकृतिक संबंधों (Unnatural Relation) पर रोक थी। लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खत्म कर दिया गया था। अब पैनल का मानना है कि अप्राकृतिक संबंधों के आरोपों को इसी सेक्शन के तहत रखा जाए। ऐसे लोगों पर इस सेक्शन के तहत ही केस चलाए जाएं। इसके अलावा अवैध संबंधों के लिए धारा 497 के तहत केस चलेगा। हालांकि इसे जेंडर न्यूट्रल (Gender Neutral) रखने की सिफारिश हो सकती है।