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मिलिए वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन से, जिन्होंने बताया था कि हमारे पूर्वज बंदर थे
Last Updated on February 13, 2022 by sintu kumar
यह हम किताबों में ही पढ़ते आए हैं कि हमारे पूर्वज बंदर (Monkey) थे। जिस महान व्यक्ति ने इस बात को सच करके दिखाया था, उसके माता-पिता उसे नालायक समझते थे। पेरेंट्स को लगता था कि यह बच्चा उसके खानदान की नाक कटवाएगा। इसके उलट इस बच्चे ने ऐसा इतिहास (History) रचा जिसे आज भी पढ़ा जाता है। ये थे वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन (Scientist Charles Darwin)। इनका जन्म 12 फरवरी, 1809 को हुआ था। इनके पिता रॉबर्ट डार्विन और मां सुसान डार्विन दोनों ही जाने.माने डॉक्टर थे। वे चाहते थे बेटा भी डॉक्टर बने, पर ऐसा नहीं हुआ। 2015 से इनके जन्मदिवस को डार्विन डे के तौर पर मनाने की शुरुआत हुई।
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जब पिता ने कहा तुम खानदान की नाक काटाओगे
ब्रिटेनिका (Britannica) की रिपोर्ट के मुताबिक, डार्विन के डॉक्टर माता-पिता हमेशा चाहते थे कि वो भी डॉक्टर ही बनें] लेकिन इनका मन न तो पढ़ाई में लगता था और न ही माता-पिता के सपने को साकार करने में। चार्ल्स की दिलचस्पी हमेशा से ही इस बात में रही कि धरती पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई। पिता (Father) की लाख कोशिशों के बाद भी जब चार्ल्स का मन पढ़ाई में नहीं लगा तो उन्होंने थक-हारकर कहा कि तुम्हे शिकार करने, चूहों और कुत्तों को पकड़ने के अलावा किसी भी चीज में दिलचस्पी नहीं है। तुम खानदान की नाक कटवाओगे। इस घटना के बाद इन्हें पढ़ाई के लिए एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी भेज दिया गया।
22 साल की उम्र से शुरू हुआ इतिहास रचने का सफर
दिसंबर1831 में 22 साल की उम्र में चार्ल्स को बीगल नाम के जहाज से दुनिया (world) घूमने का मौका मिला। इस दौरान उन्होंने दुनिया को देखा, समझा और जाना। सफर के पड़ाव में उन्होंने जीव-जंतुए पेड़-पौधे और कीट-पतंगों की प्रजातियों के नमूने लिए और कई सालों तक इन पर रिसर्च की। उनका कहना था, धरती पर सभी प्रजातियों की उत्पत्ति एक ही जाति से जुड़ी है। समय के मुताबिक इनमें बदलाव हुए और ये अलग-अलग प्रजातियों में धीरे-धीरे तब्दील होती गए। इस तरह विविधता आई।
एक किताब में दर्ज किया इंसान का इतिहास
हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि हमारे पूर्वज बंदर थे और समय के साथ धीरे-धीरे हमने खुद को विकसित किया। हम बंदर से इंसान कैसे बने। इस बात का पता लगाया था चार्ल्स डार्विन ने। डार्विन की किताब ऑन द ओरिजन ऑफ स्पेशीज बाय मीन्स ऑफ नेचुरल सिलेक्शन 24 नवंबर, 1859 को पब्लिश हुई थी। इस किताब में एक चैप्टर था, ष्थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन इसी में बताया गया था कैसे हम बंदर से इंसान बने। चार्ल्स डार्विन का मानना था कि हम सभी के पूर्वज एक हैं। उनकी थ्योरी थी कि हमारे पूर्वज बंदर थे।