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In Depth : कोरोना पीड़ित युवक ने मौत से पहले पिता को भेजा Video Message, देख-सुनकर हर कोई रोया
Last Updated on June 29, 2020 by
नई दिल्ली। कोरोना संकट में लोग ऐसी स्थितियों से गुजर रहे हैं जो किसी ने कभी सपने में नहीं सोची थी। कोरोना हर रोज सैकड़ों लोगों की जान ले रहा है। हैदराबाद (Hyderabad) में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे पढ़कर आपकी आंखें नम हो जाएंगी। यहां एक 26 साल के युवक ने अस्पताल के बिस्तर से अपने पिता को सेल्फी वीडियो भेजा। इसके कुछ मिनट बाद ही कोविड-19 (Covid-19) के कारण उसकी मौत हो गई। वीडियो में उसने कहा कि वह सांस नहीं ले पा रहा है क्योंकि डॉक्टर्स ने कथित तौर पर उसका वेंटिलेटर सपोर्ट (Ventilator support) हटा दिया है। यह घटना शुक्रवार रात की है लेकिन तब सामने आई जब सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल हो गया।
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युवक को 24 जून से था तेज बुखार, चेस्ट अस्पताल में करवाया भर्ती
हैदराबाद के एर्रागड्डा में स्थित गवर्नमेंट चेस्ट हॉस्पिटल (Government Chest Hospital) से भेजे गए वीडियो में युवक ने अपने पिता से कहा, ‘उन्होंने वेंटिलेटर हटा दिया है और पिछले तीन घंटों से ऑक्सीजन सहायता देने के मेरे अनुरोध का जवाब नहीं दे रहे हैं। मेरे दिल ने काम करना बंद कर दिया है और केवल फेफड़े काम कर रहे हैं लेकिन मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं डैडी। बाय डैडी। सभी को बाय, बाय डैडी।’ युवक के पिता का कहना है कि वीडियो भेजने के कुछ मिनट बाद ही उनके बेटे की मौत हो गई। रविवार को उसका अंतिम संस्कार किया गया। हैदराबाद के जवाहरनगर में रहने वाले युवक के पिता ने कहा कि उनके बेटे को 24 जून से तेज बुखार था। कुछ अस्पतालों में भर्ती करने के प्रयास के बाद आखिरकार उसे 24 जून को चेस्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 26 जून को उसकी मौत हो गई।’
वहीं, चेस्ट अस्पताल के अधीक्षक महबूब खान ने इस आरोप का खंडन किया कि वेंटिलेटर हटा दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘उसे वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया था लेकिन रोगी इतनी गंभीर स्थिति में था कि उसे ऑक्सीजन की आपूर्ति महसूस नहीं हो रही थी।’ खान ने कहा कि युवक की अचानक मौत हो गई। पिछले कुछ दिनों में हमारे सामने ऐसे मामले आए हैं। आमतौर पर कोविड-19 से संक्रमित बुजुर्ग लोगों की मौत फेफड़े खराब होने की वजह से होती है। हम हृदय में वायरल संक्रमण के कारण 25-40 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों में एक नया फिनोमिना देख रहे हैं। उन्हें ऑक्सीजन दिया जाता है लेकिन उन्हें यह अपर्याप्त लगता है। उन्होंने कहा कि इसमें डॉक्टर्स की कोई गलती नहीं है।