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कोविड वॉरियर्स के लिए सुख सरकार ने बंद किए दरवाजे, आज ड्यूटी का था आखिरी दिन
धर्मशाला। बीते तीन सालों से प्रदेश सरकार (State Government) के स्वास्थ्य महकमे में एक्स्ट्रा स्टेपनी की तरह काम करने वाला कोविड स्टाफ आज से घर वापस लौट गया। दरअसल प्रदेश सरकार की ओर से इस स्टाफ के लिए तमाम वो दरवाजे बंद कर दिये हैं जो आज से पहले प्रदेश के सैकड़ों संस्थानों में जाकर खुलते थे। वैश्विक महामारी कोविड (Covid) के दौरान प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों की लचर हालत को सबल बनाने और उस वक्त स्वास्थ्य महकमे की टूटती कमर को सहेजने के लिए तत्कालीन सरकार की ओर से ऑउटसोर्स करके रखा गया डेढ से दो हजार के बीच का ये स्टाफ अब किसी काम का नहीं रहा।
आखिरी दिन तक सरकार से थी आस
नतीजतन आज इनकी ड्यूटी (Duty) का आखिरी दिन था,। इतना ही नहीं जिन संस्थानों में इस स्टाफ ने ड्यूटियां दीं वहां के प्रबंधक भी ये मान रहे थे कि ये प्रशिक्षित और अनुशासित स्टाफ था, जिसकी उन्हें सख्त जरूरत है, बावजूद इसके बीते पांच महीने से इस आस और विश्वास के साथ काम कर रहे थे कि अगर सरकार का उन्होंने बुरे वक्त में सहारा दिया तो महंगाई और बेरोजगारी (Unemployment) के इस बुरे वक्त में सरकार भी उनका जरूर सहारा बनेगी क्योंकि वो बाहर के नहीं बल्कि इसी प्रदेश के नागरिक हैं और सरकार के नेता और मुखिया भी इसी प्रदेश से ही आते हैं। बावजूद इसके तमाम फलसफों को दरकिनार करते हुए ये कोविड वॉरियर्स (Covid warriors) आज से घर बैठ गए।
नौकरी जाने के डिप्रेशन से हुई थी मौत
टांडा मेडिकल कॉलेज (Tanda Medical College) में काम करने वाले कोविड स्टाफ़ की मानें तो बीते तीन साढ़े तीन सालों में उन्होंने स्वास्थ्य संस्थान में हर वो काम किया जिसकी विभाग को ज़रूरत महसूस हुई और आज अचानक से उन्हें बेरोजगार करके घर भेज दिया गया, ऐसे हालातों में उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा कि वो करें तो क्या करें। कोविडकाल में काम करने वाले युवक की संदिग्ध हालातों में हुई मौत (Death) को लेकर परिजन बेहद हताश हैं, परिजनों का कहना है कि उनका बेटा और भाई नौकरी जाने के डर से डिप्रेशन में चले गए थे, घर के किसी सदस्य से भी बातचीत नहीं करता था और आज वो इस दुनिया से ही चला गया है, ऐसे में देखा जाए तो ये महज़ इकलौता मामला नहीं बल्कि इससे पहले भी प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से कुछ मामले सामने आते रहे , जिन्होंने कोविडकाल में अपनी सेवाएं दी, और आज वो लोग नौकरी जाने के डर और बीते लम्बे समय से वेतन न मिलने के चलते डिप्रेशन में थे।
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