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मकर संक्रांति पर मंदिरों में उमड़ा भक्तों का जनसैलाब, स्वर्ग प्रवास पर गए देवता
Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति से सदियों पुरानी धार्मिक परंपरा का आगाज हो गया है। अधिकतर देवालयों के कपाट बंद कर दिए गए हैं, क्योंकि स्थानीय देवता अब स्वर्ग प्रवास पर चले गए हैं। इस दौरान 42 दिनों तक सभी देव कार्यों के साथ-साथ कृषि गतिविधियों पर भी प्रतिबंध रहेगा। समूचे आनी क्षेत्र सहित साथ लगते चबासी क्षेत्र के देवालयों में मकर सक्रांति पर्व की खूब धूम रही। आनी के प्रसिद्ध शमशरी महादेव मंदिर में मकर सक्रांति का पर्व धूमधाम से मनाया गया। पर्व पर ग्रामीण इलाके में लोगों ने प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर विधिवत पूजा पाठ व हवन आदि किए और परिवार सहित संबंधियों को जौ व पाजे की डाली भेंटकर मकर सक्रांति की बधाई दी। इस दिन घरों में माश व चावल की खिचड़ी बनाई गई। जिसका देसी घी के साथ लोगों ने खूब ज़ायका लिया। इस पर्व पर विशेष रूप से बनी घी खिचड़ी की खुश्बू से घाटी खूब महकी।
मंदिरों में प्रशाद के रूप में खिचड़ी भी बांटी
पर्व पर आनी के देवालय शमशरी महादेव बैहनी महादेव कुसुम्बा भवानी देहुरी दुर्गा बैहनी महादेव तथा माँ बाडी दुर्गा सहित विभिन्न देवालयों में माघा साजा की खूब धूम रही। मंदिरों में अपने ईष्ट देवताओं के दर्शन को भक्तों का भारी जनसैलाब उमड़ा। मंदिरों में देव दरवार झाड़े का आयोजन भी किया गया। जिसमें देवता के शक्ति अंश गुर ने खेल में आकर लोगों के कष्टों का चावल के दानों के रूप में निवारण किया। पर्व के मौके पर कई मंदिरों में भक्तों के लिए प्रशाद के रूप में खिचड़ी भी बांटी गई।
स्वर्ग प्रवास पर निकले देवता
इस धार्मिक आयोजन के उपरांत मंदिरों के कपाट घृतमा लगाकर एक माह के लिए बंद कर दिए गए हैं। मान्यता है कि मकर सक्रांति के दिन से देवता स्वर्ग प्रवास पर निकलते हैं जो देव तवार को वापस लौटते हैं। संस्कृति संरक्षक एवं लेखक पंडित जगदीश चंद्र शर्मा हितेंद्र शर्मा दीपक शर्मा शिवराज शर्मा तथा छबिन्द्र शर्मा आदि का कहना है कि हमारा ग्रामीण समाज देवी देवताओं की मान्यता पर निर्भर है और इसी के फलस्वरूप लोगों में अपने ईष्ट देवताओं के प्रति अगाध श्रद्धा है। उन्होंने लोगों से प्राचीन देव परम्पराओं को संजोए रखने पर बल दिया।
मनाली के नौ गांवों में मंदिरों के कपाट बंद
मनाली से सोलंगनाला की ओर स्थित नौ गांवों में कंचन नाग, व्यास ऋषि और गौतम ऋषि के मंदिर विधिवत पूजा के बाद बंद कर दिए गए हैं। इस अवधि में गांवों में किसी भी प्रकार का शोर-शराबा नहीं होगा। वाद्य यंत्रों के साथ टीवी और रेडियो भी न्यूनतम आवाज में ही चलाए जा सकेंगे। विशेष परंपरा के तहत मकर संक्रांति पर गौतम ऋषि की मूर्ति पर कपड़े से छानी गई मिट्टी का लेप लगाया गया है, जिसे 42 दिन बाद हटाया जाएगा।
छविंद्र शर्मा
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