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क्रिप्टोकरेंसी अब मनी लॉन्ड्रिंग के दायरे में, डिजिटल संपत्तियों पर रहेगी कड़ी निगरानी
वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित लेनदेन (Transactions Related to Cryptocurrency) अब मनी लाॅन्ड्रिंग प्रावधानों (Money Laundering Provisions) के दायरे में आएंगे। अधिसूचना में सरकार ने स्पष्ट कहा है कि आभासी और डिजिटल संपत्ति (Virtual and Digital Assets) से जुड़े लेन-देन में भागीदारी अब धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act) के नियमों के अधीन होगी।
पीएमएलए कानूनों के तहत होगा आभासी डिजिटल संपत्ति का लेनदेन
ऐसा माना जा रहा है कि सरकार ने डिजिटल संपत्तियों की निगरानी (Monitoring of Digital Assets) को कड़ा करने के लिए ये सख्त कदम उठाया है। भारत के राजपत्र में प्रकाशित विज्ञप्ति के अनुसार, मंत्रालय ने निवेशकों को आभासी या डिजिटल संपत्ति के लिए की गई किसी भी पेशकश और बिक्री से संबंधित वित्तीय सेवाओं में भागीदारी के लिए चेतावनी दी है।
अधिसूचना में बताया गया है कि आभासी डिजिटल संपत्ति का आदान.प्रदान और हस्तांतरण भी पीएमएलए कानूनों (PMLA Act) के तहत आएगा। आयकर अधिनियम (Income Tax Act) के अनुसार, वर्चुअल डिजिटल एसेट का मतलब ऐसी किसी भी संपत्ति से है जो किसी जानकारी, कोड, संख्या या टोकन (भारतीय मुद्रा या विदेशी मुद्रा नहीं होने के कारण) के फॉर्मेट में हो और जिसे क्रिप्टोग्राफिक (Cryptographic) माध्यम से उत्पन्न किया गया होए चाहे उसे किसी भी नाम से पुकारा जाए।
आरबीआई ने कहा, क्रिप्टोकरेंसी पर लगे प्रतिबंध
प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) जिसके पास मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा उल्लंघन के मामलों की जांच करने का अधिकार है, वह पहले से ही एक्सचेंज कॉइन स्विच कुबेर और वजीरएक्स सहित कई क्रिप्टो एक्सचेंजों (Crypto Exchanges) की जांच कर रहा है। भारत ने अभी तक क्रिप्टोकरेंसी के आसपास के कानून और नियमों को अंतिम रूप नहीं दिया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) कई बार क्रिप्टो टोकन (Crypto Tokens) के उपयोग के प्रति आगाह कर चुका है। भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, क्योंकि वे पोंजी स्कीम (Ponzi Schemes) के समान हैं।