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शिमला। एक व्यक्ति लंबे अरसे से ढली की गलियों की खाक छान रहा था। लोग उसे मानसिक तौर पर परेशान समझकर खाने आदि के लिए कुछ दे देते थे। इसके बाद लोगों ने उक्त व्यक्ति को ढली पुलिस के हवाले किया। जब ढली पुलिस ने व्यक्ति का मेडिकल करवाया तो कुछ और मामला ही सामने आया। व्यक्ति मानसिक तौर पर बिल्कूल ठीक था, लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे। इसके चलते वह घर नहीं जा पा रहा था।
बता दें कि यह व्यक्ति ना तो अपने बारे कुछ बतला पा रहा था और ना अपनी दिक्कत के बारे। 22 फरवरी को व्यक्ति को लोगों ने पुलिस के हवाले किया। उसी दिन पुलिस व्यक्ति को मेडिकल के लिए डीडीयू (DDU) अस्पताल शिमला ले गई। जहां पर मेडिकल ऑफिसर (MO)ने बतलाया कि यह व्यक्ति दिमागी तौर पर बिल्कुल ठीक है। इसे पैसे की दिक्कत है, जिस कारण यह अपने घर नहीं जा पा रहा है। इसके बाद 23 फरवरी को थाना ढली के पुलिस स्टाफ व एंटी ड्रग्स मेंबर (Anti- Drug Members) ढली ने आपस में ही पैसे एकत्रित करके उपरोक्त व्यक्ति का इसके स्थानीय राज्य कर्नाटक जाने के लिए खर्चा उपलब्ध करवाया। इसके स्थानीय थाना प्रगतिनगर कर्नाटक से तस्दीक करवाने के बाद इसे बस स्टैंड शिमला तक सुरक्षित हालत में छोड़ा गया है। गौरतलब है कि यह प्रकरण एक बड़ी सीख दे गया है। बाजारों व गलियों में दर दर भटकने वाले जरूर ही नहीं कि मानसिक रूप से बीमार हों या पागल हों। इनकी कोई और समस्या भी हो सकती है। ऐसे में मानवता यह बनती है कि ऐसे व्यक्ति के साथ सहानुभूति प्रकट करें और उसकी दिक्कत जानने की कोशिश करें। ढली के लोगों ने कम से कम इतना फर्ज तो निभाया कि व्यक्ति को पुलिस के हवाले किया, जिससे व्यक्ति अपने घर जा सका।
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