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एक हाथ नहीं दूसरा अल्पविकसित फिर भी नहीं टूटा महेश का जज्बा, पैरों से लिखकर देगा 10वीं की परीक्षा
अंबिकापुर। दिल में कुछ अलग करने का जज्बा हो तो कोई काम मुश्किल नहीं। ये बात सिर्फ कहने के लिए नहीं है बल्कि ऐसे कई उदाहरण हमारे देश में जो इसे साबित करते हैं और लोगों के लिए मिसाल कायम करते हैं। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के अंबिकापुर में ऐसा ही एक छात्र है जो किस्मत के आगे हार मानने की जगह उठकर खड़ा हुआ है और इससे लड़ने की हिम्मत भी रखता है। डिगमा पंचायत का दिव्यांग छात्र महेश हाथों से भले ही लाचार हो, लेकिन उसके मन का आत्मविश्वास अभी भी कम नहीं हुआ है। महेश पैरों से कलम पकड़ कर इस बार 10वीं की परीक्षा (10th exam) देगा।
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महेश बचपन से ही दिव्यांग (Divyang) है। उसका एक हाथ नहीं है और दूसरा हाथ अल्पविकसित है। इसके बावजूद पढ़ाई को लेकर उसके अंदर इतना जुनून है कि उसने बचपन से 9वीं तक पढ़ाई पूरी की और अब 10वीं की परीक्षा पैरों से लिखकर देगा। महेश के सिर से दो वर्ष पहले ही पिता का साया उठ गया, लेकिन उसके हौसले बुलंद हैं। महेश आगे चलकर शिक्षक बनना चाहता है। कोरोना की वजह से स्कूल बंद होने पर महेश ने ऑनलाइन पढ़ाई की और पैरों से कॉपी पर लिख कर तैयारी करता है।
दिव्यांग होने के कारण महेश को पढ़ाई में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन महेश की इच्छा शक्ति इतनी प्रबल है कि वो पैरों से भी इतना सुंदर लेख लिखता है मानो किसी ने हाथ से लिखा हो। महेश का कहना है कि हाथ ना सही पैर तो सलामत हैं। अंबिकापुर के जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि ये दिव्यांग बच्चा है, लेकिन इसके हौसले बुलंद हैं। इसके लिए 10वीं परीक्षा में बैठने की अलग व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने माध्यमिक शिक्षा मंडल को पत्र लिखकर छात्र को अन्य सुविधाएं दिलाने का प्रयास करने की भी बात की है।