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ना रुके, ना ही थके और दुनिया के दिखा दिया दिव्यांगता आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती
सुनैना जसवाल। दिव्यांग होने के बाद भी कोई व्यक्ति खुद को किस प्रकार मजबूती से स्थापित कर सकता है इसका जीता जागता उदाहरण ऊना जिला के गांव जलग्रां के 32 वर्षीय विपिन कुमार हैं। व्हील चेयर क्रिकेट में राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर चुके विपिन राज्य स्तर पर बेंच प्रेस और शॉटपुट में भी बेहतरीन प्रदर्शन कर चुके है। अब वे पैरालंपिक बेंच प्रेस और शॉट पुट की तैयारी में राष्ट्रीय स्तर पर हुनर दिखाने को तैयारी में जुटे हैं। 23 वर्ष की उम्र में आम तोड़ते वक्त विपिन पेड़ से गिर गए थे और जब उसे अस्पताल ले जाया गया, तब उन्हें पता चला कि रीड की हड्डी में चोट लगने के चलते उन्हें लॉन्ग टर्म इंजरी हुई है। घायल होने के सामान्य होने में विपिन को करीब 4 वर्ष तक का समय लगा हालांकि वह इस चोट के कारण व्हीलचेयर पर आ चुके थे।
विपिन बेरोजगार है और कमाई का कोई साधन भी नहीं
व्हील चेयर पर आने के बावजूद उन्होंने जिम ज्वाइन की और शारीरिक सौष्ठव पर फोकस किया। बेशक विपिन अपने खेल को आगे लेकर जाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है लेकिन कहीं न कहीं आर्थिक तंगी विपिन की इस मेहनत में रोड़ा बन रही है। विपिन बेरोजगार है और कमाई का कोई साधन भी नहीं है, ऐसे में विपिन जैसे-तैसे करके अपने अभ्यास को आगे बढ़ा रहा है। विपिन ने बताया कि इस दौरान उन्होंने ना केवल अपने शरीर को एक अच्छी शेप देने बल्कि इसके अतिरिक्त उन्होंने खेलों की तरफ ध्यान दिया और व्हीलचेयर क्रिकेट में कदम रखा। व्हीलचेयर क्रिकेट में राजस्थान के उदयपुर में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेते हुए विपिन ने बेहतरीन प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए अपनी टीम के लिए अपने बल्ले से कई चौके छक्के लगाए वहीं अपनी बॉलिंग से कई विकेट भी झटके। इसके अतिरिक्त वह प्रदेश स्तर तक शॉट पुट और बेंच प्रेस में भी अच्छा खासा नाम कमा चुके हैं। जबकि अब बेंच प्रेस और शॉटपुट में राष्ट्रीय स्तर पर पैरालंपिक खेलने की तैयारी कर रहे हैं। विपिन कहते हैं कि दिव्यांग होने के बाद कभी किसी की जिंदगी रुक नहीं जाती अपितु अपने जज्बे को बुलंद रखते हुए जीवन को एक नई दिशा देकर बुलंदी की तरफ कदम बढ़ाना पड़ता है।
विपिन को है सरकारी मदद की दरकार
हर प्रकार की प्रतियोगिता में विपिन को लेकर जाने वाले और हर वक्त उसका साथ निभाने वाले उसके मित्र विशाल का कहना है कि विपिन का हौसला बेहद गजब है। वह हर काम स्वयं करने के लिए उत्साहित रहते हैं। शारीरिक चुनौती होने के बावजूद उन्होंने बेहतरीन ढंग से तैयारी करते हुए यह मुकाम हासिल किया है। इसी गांव के रहने वाले खेल प्रशिक्षक एवं स्थानीय वासी मनीष राणा का कहना है कि विपिन ने दिव्यांगता के बावजूद खेल क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। उनकी वित्तीय स्थिति दयनीय होने के साथ-साथ खेल के लिए उपयोग होने वाले विभिन्न तरह के उपकरणों की भी काफी कमी है। यदि केंद्र और प्रदेश सरकार सहित प्रशासन विपिन को उपयुक्त मदद उपलब्ध कराएं तो विपिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने का माद्दा रखता हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को इस ओर अवश्य ध्यान देना चाहिए ताकि विपिन कुमार सही तरीके से तैयारी कर प्रतियोगिताओं में प्रदर्शन कर सकें।
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