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सावन मास और भगवान शिव की आराधना का पर्व शुरू हो चुका है। श्रावण मास भगवान शिव का प्रिय मास माना जाता है। इस माह समस्त वातावरण भगवान शिव की भक्ति में रम जाता है। इस पवित्र माह में हर तरफ सकारात्मक शक्ति का प्रवाह होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा सच्चे मन से करता है उसकी सभी मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं। भगवान भोले शंकर को जल्दी प्रसन्न होने वाला देवता माना जाता है। लेकिन यह बात भी उतनी ही सत्य है कि जितनी जल्दी भगवान शिव अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं, उतनी ही जल्दी उन्हें क्रोध भी आ जाता है। महादेव की उपासना करने और उनकी शीघ्र कृपा पाने के लिए ये महीना सबसे उत्तम है। तो इस सावन में भगवान शिव को प्रसन्न करते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां-
शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव की पूजा करते समय उन्हें कभी भी तुलसी न चढ़ाएं। मान्यता है कि भगवान शिव ने जालंधर नामक राक्षस का वध किया था। पति की मौत के बाद जालंधर की पत्नी वृंदा तुलसी का पौधा बन गई थी। यही वजह है कि भगवान शिव की पूजा में तुलसी चढ़ाना वर्जित माना जाता है।
भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग करना वर्जित माना जाता है। शंखचूड़ नाम के दैत्य से सभी देवता बहुत परेशान थे। जिसके बाद भगवान शिव ने शंखचूड़ का वध कर दिया था। शंखचूड़ के शरीर की भस्म से ही शंख की उत्पत्ति हुई, यही वजह है कि भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं किया जाता ।
आपने देखा होगा कि शिवलिंग पर नारियल तो अर्पित किया जाता है लेकिन शिवलिंग पर कभी भी नारियल का जल नहीं चढ़ाना चाहिए। नारियल को लक्ष्मी का रूप माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केतकी फूल ने ब्रह्मा जी के झूठ में उनका साथ दिया था। जिससे नाराज होकर भोलेनाथ ने केतकी फूल को श्राप दिया कि उसे शिवलिंग पर कभी नहीं चढ़ाया जाएगा।
शिवलिंग पर हल्दी कभी नहीं चढ़ाई जाती है। हल्दी को महिलाओं की सुंदरता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है।
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