-
Advertisement
कालभैरव अष्टमी पर आज करें ये उपाय, दूर होगी हर परेशानी
धर्म ग्रंथों के अनुसार कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के क्रोध से कालभैरव की उत्पत्ति हुई थी। तभी से इस तिथि पर कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 16 नवंबर यानी आज है। इस दिन ब्रह्म और इंद्र नाम के 2 शुभ योग दिन भर रहेंगे, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। भगवान कालभैरव की पूजा तामसिक प्रवृत्ति यानी तंत्र-मंत्र से होती है। ये भगवान शिव की संहारक शक्तियों में से एक हैं। इनके 52 रूप माने जाते हैं। कालभैरव को मदिरा का भोग विशेष रूप से लगाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से कालभैरव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर कामना पूरी करते हैं। इस दिन कुछ खास उपाय किए जाएं तो भगवान कालभैरव की कृपा हम पर बनी रहती है और ग्रहों से संबंधित दोष भी दूर होते हैं।
यह भी पढ़ें:ऐसे करें मंगलवार को हनुमान जी की पूजा, सभी मनोकामना होगी पूरी
- कालभैरव अष्टमी पर भगवान कालभैरव को जलेबी या इमरती का भोग लागएं। बाद में इन्हें कुत्तों को खिला दें। कुत्तों को भैरव का वाहन माना जाता है। कुत्तों को मीठा खिलाने से शनि दोष में आराम मिलता है। गुड़-बेसन की रोटी भी कालभैरव को विशेष रूप से चढ़ाई जाती है।
- भगवान कालभैरव की पूजा करें। चमेली के फूल विशेष रूप से चढ़ाएं और सरसों के तेल का चौमुखा दीपक लगाएं। इसके बाद रुद्राक्ष की माला से ऊं कालभैरवाय नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। इस उपाय से राहु-केतु से संबंधित दोष दूर होते हैं।
- इस दिन दो रंग का कंबल जरूरतमंदों को दान करें। तेल से पका भोजन जैसे भजिए-पूरी आदि का दान कुष्ठ रोगियों को करें। नदी में तांबे का सिक्का प्रवाहित करें। इन छोटे-छोटे उपायों से राहु-केतु के दोष दूर होते हैं और जीवन की परेशानियां भी।
- कालभैरव अष्टमी पर किसी ऐसे भैरव मंदिर में जाएं , जहां आमतौर पर कम लोग जाते हैं। वहां जाकर मंदिर की साफ-सफाई करें। भैरव प्रतिमा पर सिंदूर और सरसों के तेल से चोला चढ़ाएं। इसके बाद शराब का भोग लगाएं। इस उपाय से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।