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इस मंदिर में 480 साल से जल रही अखंड ज्योति, ऐसे बनाया जाता है भोग
Last Updated on November 7, 2022 by sintu kumar
हमारे देश के मंदिरों में प्रतिष्ठित भगवानों की महिमा काफी निराली है। इन मंदिरों में भगवान की लीला और कई चमत्कार देखने को मिलते हैं। भारत में स्थित हर एक मंदिर (Temple) से लोगों की अपनी-अपनी आस्था जुड़ी हुई है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां भगवान का एक चमत्कार और अनोखी लीला पांच शताब्दियों से जारी है।
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हम बात कर रहे हैं मथुरा स्थित वृंदावन (Vrindavan) धाम के सप्त देवालयों में शामिल ठाकुर जी राधारमण लाल जु मंदिर (Radharaman Lal Ju Temple) की। इस मंदिर में ठाकुरजी के भोग-राग की रसोई तैयार करने के लिए पिछले 480 साल से लगातार एक ही भट्टी जल रही है, जिससे निकलने वाली ज्वाला की अग्नि का इस्तेमाल मंदिर में जलने वाले दीपक और आरती और भगवान के भोग को बनाने के लिए किया जाता है।
मंदिर के सेवादार श्रीवत्स गोस्वामी का कहना है कि इस मंदिर परिसर में मौजूद ये प्राचीन भट्टी दिनभर जलती रहती है। वहीं, सारे काम पूरे होने पर रात में इसमें कुछ लकड़ियां डालकर ऊपर से राख उड़ा दी जाती है ताकि अग्नि शांत ना हो। इसके बाद अगले दिन सुबह इसी अग्नि में कुछ उपले और अन्य लकड़ियों को डालकर बाकी भट्टियों को जलाया जाता है। उन्होंने बताया ये प्रथा तब से चली आ रही है, जब से भट्टी बनी है। उन्होंने बताया कि पिछले 480 साल से यहां लगातार एक अखंड ज्योति के रूप में प्रज्वलित होकर जल रही है।
बताया जाता है कि मंदिर की रसोई में बाहरी लोगों का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित है। इस मंदिर के सेवायत के शरीर पर सिर्फ धोती के अलावा अन्य कोई वस्त्र नहीं होता है। बताया जाता है कि अगर कोई सेवायत प्रसाद बनाने के दौरान रसोई से बाहर आता है तो उसे वापस स्नान करने के बाद ही पवित्र रसोई में एंट्री मिलती है।